बेबी कॉर्न का उपयोग, फायदा एवं बेबी कॉर्न की खेती

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बेबी कॉर्न ( Baby Corn ) उच्च उपज और तेजी से विकास वाली एक अत्यधिक बहुमुखी फसल है। इसी विषेशताओं की वजह से  इसे विकासशील दुनिया में व्यापक उपयोग और उत्पादन के लिए उपयुक्त बनाती हैं। विकासशील देशों ने मक्का को गरीबों के लिए अनाज और पशुओं के लिए साग के रूप में माना। हालाँकि, आजकल मक्का के कोमल और अपरिपक्व दानों का उपयोग सब्जियों के रूप में किया जा रहा है (गैलिनैट, 1985 द्वारा प्रस्तावित)। बेबी कॉर्न (थाई कुकबुक में कैंडल कॉर्न) के रूप में जाना जाने वाला यह नया प्रयोग घरेलू और विदेशी बाजारों में लोकप्रिय हो रहा है और इसमें भारी प्रसंस्करण और निर्यात क्षमता है। इसकी खेती उच्च बाजार मांग के कारण शहरी और उप-शहरी क्षेत्रों में लोकप्रिय है। पहले बेबी कॉर्न एक स्वादिष्ट व्यंजन हुआ करता था और इसकी रेसिपी केवल स्टार होटलों और बड़े रेस्तरां में ही मिलती थी। सूचना प्रौद्योगिकी में क्रांति, बेबी कॉर्न के उत्पादन में वृद्धि और बाजार में आसानी से उपलब्धता के कारण अब यह आम जनता के बीच भी लोकप्रिय हो रहा है।

बेबी कॉर्न में पाये जाने वाले खनिज ( Minerals Found in Baby Corn )

बेबी कॉर्न में फाइबर (Fiber), आयरन (Iron), पोटेशियम(Potassium), फेरुलिक एसिड (Ferulic acid) होता है।

बेबी कॉर्न के स्वास्थ्यवर्धक फायदे ( Health Benefits Of Baby Corn )

  1. यह कब्ज, बवासीर को रोकता है और यहां तक कि पेट के कैंसर के खतरे को काफी कम करता है।
  2. बेबी कॉर्न त्वचा को लंबे समय तक जवां बनाए रखने में मदद करता है।
  3. बेबी कॉर्न शरीर में विटामिन A बनाता है और अच्छी दृष्टि बनाए रखने के लिए आवश्यक है।
  4. बेबी कॉर्न आपके शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करके हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है।
  5. बेबी कॉर्न एनीमिया( Anemia ) को रोकने में मदद करता है।
  6. बेबी कॉर्न हमारे रक्तचाप के स्तर को नियंत्रण में रखने में मदद करता है ।

बेबी कॉर्न की खेती ( Baby Corn Cultivation )

किसान बेबी कॉर्न की कटाई तब करते हैं जब यह आकार में छोटे होते हैं और यह पूरी तरह से अपरिपक्व हो। बेबी कॉर्न जल्दी ही परिपक्व हो जाते हैं इसीलिए किसान इन की कटाई जल्दी कर देते हैं। कटाई के बाद बेबी कॉर्न को हाथों द्वारा खेतों से चुना जाता है। बेबी कॉर्न आमतौर पर दिखने में गुलाबी, सफेद, नीले, पीले रंगो के रूप में पाए जाते हैं। बेबी कार्न खाने में बहुत ही ज्यादा मुलायम और सौम्य होते हैं। इसीलिए यह बहुत ही ज्यादा दुनिया भर में मशहूर है।
बेबी कॉर्न का उत्पादन उच्च पौधों की आबादी के घनत्व, डिटैसलिंग और शुरुआती फसल को छोड़कर सामान्य अनाज मक्का उत्पादन के लिए अनुशंसित प्रथाओं के समान है।
बेबी कॉर्न की खेती के लिए अच्छे जल निकास वाली, रेतीली दोसे बेबी कॉर्न की खेती के लिए किसी भी अनाज के संकर/मिश्रित का उपयोग किया जा सकता है, लेकिन व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए जल्दी परिपक्व होने वाली, समकालिक बालियां, पीली गिरी, मीठी, छोटे कद वाली एकल क्रॉस संकर, जो सघन रोपण के साथ एक से अधिक सहनशील  कर सकती हैं, को प्राथमिकता दी जाती है।

1.बेबी कॉर्न की खेती के लिए जलवायु, मिट्टी और तापमान (Climate, Soil and Temperature for Baby Corn Cultivation)

बेबी कॉर्न की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। यह फसल अम्लीय मिट्टी में भी उगाई जा सकती है। खेतों में पानी निकासी की व्यवस्था बना कर रखनी चाहिए। बेबी कॉर्न की खेती के लिए अच्छी धूप की व्यवस्था करना बहुत उपयोगी होता है। इसके लिए अच्छी जलवायु के साथ-साथ 22 डिग्री सेल्सियस से 28 डिग्री सेल्सियस के तापमान की आवश्यकता होती है। इन तापमानों के आधार पर बेबी कॉर्न की फसल उच्च गुणवत्ता पर पैदा होती है।

2.बेबी कॉर्न की खेती के लिए खेत की तैयारी (Field preparation for baby corn cultivation)

सबसे पहले बेबी कॉर्न की फसल को तैयार करने से लिए खेत की अच्छी तरह से जुताई करनी होती है। फसल को उगाने के लिए भूमि में लगभग 15 टन हेक्टर फार्म यार्ड खाद की आवश्यकता होती है। किसान खेत की जुताई करने के लिए डिस्क हल का इस्तेमाल करते हैं। दो से तीन बार डिस्क हल से जुताई करने के बाद बेबी कॉर्न की खेती के लिए कल्टीवेटर द्वारा जुताई की जाती है।इस प्रक्रिया द्वारा मिट्टी को बारीक किया जाता है। ताकि बीजों का अच्छे से वातन के साथ-साथ बेहतरीन ढंग से अंकुरण हो सके। बेबी कॉर्न के मेड़ें और खांचे लगभग 45 से लेकर 25 सेंटीमीटर की दूरी पर बनाया जाता है।

3.बुवाई का समय और तरीका (Time and method of sowing)

 बेबी कॉर्न की खेती पूरे वर्ष की जा सकती है। बेबी कॉर्न को नमी और सिंचित स्थितियों के आधार पर जनवरी से अक्टूबर तक बोया जा सकता है। मार्च के दूसरे सप्ताह में बुवाई के बाद अप्रैल के तीसरे सप्ताह में सबसे अधिक उपज प्राप्त की जा सकती है। बेबी कॉर्न की खेती में पौधे से पौधे की दूरी 15 सेमी और पौधे की पंक्ति से पंक्ति की दूरी 45 सेमी होनी चाहिए। इसके साथ ही बीज को 3-4 सेमी गहराई में बोना चाहिए। मेड़ों पर बीज की बुवाई करनी चाहिए और मेड़ों को पूरब से पश्चिम दिशा में बनाना चाहिए।

 4.बेबी कॉर्न मक्का की उन्नत किस्में (Improved Varieties of Baby Corn Maize)

 बेबी कॉर्न उन्नत किस्में: गंगा- 5, गंगा सफेद- 2, गंगा- 11, डेक्कन- 101, डेक्कन- 103 एच एम- 4 किस्म आदि है। 

5.बेबी कॉर्न की खेती में सिंचाई प्रबंधन (Irrigation Management in Baby Corn Cultivation)

बेबी कॉर्न की फसल जल जमाव एवं ठहराव को सहन नहीं करती है। इसलिए खेत में अच्छी आतंरिक जल निकासी होनी चाहिए। आमतौर पर पौध एवं फल आने की अवस्था में, बेहतर उपज के लिए सिंचाई करनी चाहिए। अत्यधिक पानी, फसल को नुकसान पहुंचाता है। बरसात के मौसम में सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है, जब तक कि लंबे समय तक सूखा न रहें।

भारत के किन राज्यों में होती है बेबी कॉर्न की खेती ( In which states of India Baby Corn is cultivated )

कृषि मंत्रालय की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ये शीर्ष 10 राज्य भारत के अत्यधिक उत्पादन वाले राज्य हैं। कर्नाटक, मध्य प्रदेश, केरल, तेलंगाना, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश

बेबी कॉर्न की खेती में लागत और कमाई ( Cost and Earnings in Baby Corn Cultivation )

एक हेक्टेयर के लिए आपको करीब 25 किलो बीज चाहिए होगा मक्के की खेती में ज्यादा लागत नहीं आती है। अगर आप एक हेक्टेयर खेत में मक्का बोते हैं तो बुवाई से तुड़ाई तक आपका करीब 50-60 हजार रुपया ही खर्च होगा।

इसमें खेत की जुताई, बुआई, सिंचाई, कीटनाशक, उर्वरक, तुड़ाई, ट्रांसपोर्टेशन( Transportation ) आदि शामिल है। प्रति हेक्टेयर आपको करीब 2-2.2 लाख रुपये तक की कमाई होगी। यानी लगभग 1.5-1.7 लाख रुपये का मुनाफा, साल भर में 3 बार खेती का मतलब है कि आप एक हेक्टेयर से एक साल में करीब 4.5-5 लाख रुपये तक का मुनाफा कमा सकते हैं।

आप शबला सेवा की मदद कैसे ले सकते हैं? ( How can you take help of Shabla Seva? )

  1. आप हमारी विशेषज्ञ टीम से खेती के बारे में सभी प्रकार की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
  2. हमारे संस्थान के माध्यम से आप बोने के लिए उन्नत किस्म के बीज प्राप्त कर सकते हैं।
  3. आप हमसे टेलीफोन या सोशल मीडिया के माध्यम से भी जानकारी और सुझाव ले सकते हैं।
  4. फसल को कब और कितनी मात्रा में खाद, पानी देना चाहिए, इसकी भी जानकारी ले सकते हैं।
  5. बुवाई से लेकर कटाई तक, किसी भी प्रकार की समस्या उत्पन्न होने पर आप हमारी मदद ले सकते हैं।
  6. फसल कटने के बाद आप फसल को बाजार में बेचने में भी हमारी मदद ले सकते हैं।

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