केले का फूल का उपयोग, फायदा एवं केले का फूल की खेती
केले का फूल या केले के पेड़ की उष्णकटिबंधीय प्रजातियों का एक खाद्य हिस्सा है। यह शंकु के आकार का फूल गहरे लाल-नारंगी या मैरून रंग का होता है और इसे करी, सलाद ( salad ), कटलेट ( cutlet ) और सूप ( soup ) के रूप में खाया जा सकता है। ऐसा कहा जाता है कि इसकी उत्पत्ति मलेशिया में हुई थी, जिसके बाद यह भारत और म्यांमार में फैल गया। केले का फूल एक फल होते हुए भी अक्सर सब्जी की तरह ही पकाया जाता है। उदाहरण के लिए, श्रीलंका में, इसे वज़ाइपू (हलचल-तलना) और केसेलमुवा (करी) जैसे व्यंजनों में मज़ा आता है। केले के फूल को चाय के रूप में भी भिगोया जा सकता है।
इसका स्वाद सुखद, थोड़ा मीठा और फूलों वाला माना जाता है, हालांकि खाना पकाने से पहले पंखुड़ियों के बीच के रस को हटा दिया जाना चाहिए क्योंकि इसका स्वाद कड़वा होता है। पंखुड़ियों को नींबू के पानी में भिगोने से किसी भी कड़वाहट को कम करने में मदद मिल सकती है।
फल की तरह, फूल की पत्तियाँ नाशवान होती हैं और हवा के संपर्क में आने पर भूरी या काली हो जाती है । इसलिए, आपको बाहरी परतों को तब तक नहीं छीलना चाहिए जब तक कि आप उनका उपयोग करने के लिए तैयार न हों।
फूल का खाने योग्य भाग फूल की बाहरी पंखुडियों को छीलने से प्राप्त पुष्पक और कोर है।
केले के फूल में पाये जाने वाले खनिज ( Minerals Found in Banana flower )
केले के फूल में एंटीऑक्सीडेंट और हड्डियों के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाले खनिज होते हैं। यह कैल्शियम ( Calcium ), पोटेशियम ( Potassium ), मैग्नीशियम ( Magnesium ), लोहा ( Iron ) , तांबा और जस्ता सहित कई खनिजों से भरपूर है, जो अनगिनत शारीरिक कार्यों में मदद करते हैं।
केले के फूल के स्वास्थ्यवर्धक फायदे ( Health Benefits Banana flower )
- केले के फूल घुलनशील और अघुलनशील फाइबर ( Fiber ) से भरपूर होते हैं, जो आपको लंबे समय तक भरा हुआ महसूस करने और कब्ज और अन्य पाचन समस्याओं को रोकने में मदद करते हैं।
- केले के फूल स्वस्थ आंत रोगाणुओं में सुधार करते हैं और आंत के कैंसर के खतरे को कम करते हैं।
- केले के फूल रक्त शर्करा के स्तर को भी कम करते हैं।
- केले के फूल में पौधे आधारित प्रोटीन ( Protein ) होता है, जो आवश्यक अमीनो एसिड ( Amino acid ) की हमारी दैनिक आवश्यकता को पूरा करता है।
- केले के फूलों में स्टेरोल्स ( Sterols ) (प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले पौधे के यौगिक) होते हैं जो हमारे आंत से अंतर्ग्रहण कोलेस्ट्रॉल ( Cholesterol ) के अवशोषण को रोककर उच्च कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद करते हैं।
- केले के फूल बढ़े हुए प्रोस्टेट ग्रंथि के आकार को कम करने में मदद करते हैं। प्रोस्टेट ( Prostate ) की सूजन को कम करता है और मूत्र प्रवाह को आसान बनाता है।
- केले के फूल में हड्डियों के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाले खनिज होते हैं, जो हड्डियों के नुकसान को रोकने में मदद करते हैं।
- यह नाजुक और मीठा फल बहुत ही बहुमुखी और पोषक तत्वों से भरपूर होता है। हम केले के फूलों का सेवन विभिन्न स्वादिष्ट व्यंजनों, स्मूदी, चाय के रूप में और पोषक तत्वों के पूरक के रूप में कर सकते हैं।
केले की खेती ( Banana flower Cultivation )
वैसे तो केले की रोपाई के लिए सबसे सही समय जून-जुलाई ( June-July ) का होता है, लेकिन कुछ किसान सितंबर ( September ) महीने तक इसकी रोपाई करते हैं। इसकी खेती जनवरी-फरवरी ( January-February ) के आस-पास भी की जाती है।
एक हेक्टेयर में करीब 3000 तक केले के पौधे लगा सकते है। केले के पौधों को नमी बहुत पसंद होती है और ऐसे में वह अच्छी ग्रोथ करते हैं।
केले का उपयोग ( Use of Banana fruit )
केले के 86 प्रतिशत से अधिक उपयोग खाने के लिए होता है। पके केले उत्तम पौष्टिक फल के रूप में खाया जाता है जबकि केले के फूल, कच्चे फल व तने का भीतरी भाग सब्जी के लिए उपयोग में लाया जाता है। फल से पाउडर, मुरब्बा, टॉफी, जेली आदि पदार्थ बनाते हैं। सूखे पत्तों का उपयोग आच्छन के लिए करते हैं। केले के तने और कंद के टुकडे़ करके वह जानवरो के लिए चारा के रुप में उपयोग में लाते हैं। केले के झाड धार्मिक कार्य में मंगलचिन्ह के रुप में उपयोग में लाए जाते हैं।
केले का पेड़ कैसा होता हैं ( What is a Banana tree )
केले के पौधे मुसा जाति के घासदार परिवार से संबंधित है। केले की खेती मुख्य रूप से इसके फल के लिए की जाती है। यह मूल रूप से दक्षिण पूर्व एशिया के उष्णदेशीय क्षेत्र का है और संभवतः पपुआ न्यू गिनी ( Papua new guinea ) में इन्हें सबसे पहले उपजाया गया था। आज, उनकी खेती संपूर्ण उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में की जाती है। केले के पौधे काफी लंबे और सामान्य रूप से काफी मजबूत होते हैं और अक्सर गलती से वृक्ष समझ लिए जाते हैं, पर उनका मुख्य या सीधा तना वास्तव में एक छद्म तना होता है। कुछ प्रजातियों में इस छद्मतने की ऊंचाई 2-8 मीटर तक और उसकी पत्तियाँ 3.5 मीटर तक लम्बी हो सकती हैं।
केले के पेड़ कितने समय में फूल देता हैं ( How long does it take for a Banana tree to flower )
केले के पौधों की रोपाई के बाद करीब 12 से 13 महीने में फूल आते हैं।
केले के पेड़ को लगाने का उपयुक्त समय एवं जलवायु (Suitable time and climate to plant Banana tree)
केले को लगाने का मौसम जलवायु के अनुसार बदलता रहता है, कारण जलवायु का परिणाम केले के बढ़ने पर, फल लगने पर और तैयार होने के लिए लगने वाली कालावधी पर निर्भर करता है। केले को लगाने का समय मध्य फरवर ( February ) से मार्च ( March ) का पहला सप्ताह उपयुक्त होता हैं। केले की खेती में जलवायु का भी बहुत अधिक महत्व होता है। इसके पौधों को अच्छे से विकास करने के लिए उष्णकटिबंधीय जलवायु की आवश्यकता होती है। बारिश का मौसम पौधों की वृद्धि के लिए अच्छा माना जाता है,लेकिन बारिश से खेत में जलभराव न होने दें। इसके पौधे अधिकतम 40 डिग्री तथा न्यूनतम 14 डिग्री तापमान को ही सहन कर सकते हैं। इसके पौधे ठंड को सहन नहीं कर सकते हैं। जाड़े में पड़ने वाला पाला इसके पौधों को अधिक नुकसान पहुंचाता है। अधिक ठंड में इसके पौधे उचित वृद्धि नहीं कर सकते हैं।
केले की प्रसिद्ध किस्में ( Popular Banana Varieties )
केले की 300 से भी अधिक किस्में पहचान में आ चुकी है। हालांकि भारत में 15 से 20 किस्मों को ही प्रमुखता से खेती के लिए उपयोग में लाया जाता है। खेती के अनुसार केलों को हम दो प्रजातियों में बांट सकते हैं। पहली वो प्रजाति जिसे फल के रूप में खाया जाता है, जबकि दूसरी वो जो शाकभाजी के रूप में खाया जाता है। केले पहले वर्ग में खेती के प्रयोग की जाने वाली किस्मे जैसे पूवन, चम्पा, अमृत सागर, बसराई ड्वार्फ, सफेद बेलची, लाल बेलची, हरी छाल, मालभोग, मोहनभोग और रोबस्टा आदि प्रमुख है। इसी प्रकार शाकभाजी के लिए उगाई जाने वाली उन्नतशील प्रजातियों में मंथन, हजारा, अमृतमान, चम्पा, काबुली, कैम्पियरगंज तथा रामकेला प्रमुख हैं। केले की जी9 किस्म बहुत प्रसिद्ध किस्म है। इस किस्म को 2008 में जारी किया गया है। और इस किस्म को पूरे एशिया में उगाने के लिए उपयुक्त किस्म है। इस किस्म में औसतन 25 से 30 किलोग्राम के गुच्छे निकालते है।
केले के पौधों की रोपाई (Transplanting Banana Plants)
केले के खेत में इसके बीजों की रोपाई पौध के रूप में की जाती है। इसलिए इसके पौधों को किसी रजिस्टर्ड नर्सरी से खरीद लेना चाहिए। खरीदे गए पौधे बिल्कुल स्वस्थ और अच्छी किस्म के होने चाहिए। इन पौधों की रोपाई के लिए मध्य मई से जुलाई का पहला सप्ताह उपयुक्त माना जाता है, तथा जून का महीना भी पौध रोपाई के लिए उचित होता है, क्योंकि बारिश के मौसम में केले के पौधे अच्छे से वृद्धि करते हैं।
केले के पौधों रोपाई का तरीका ( How to transplant Banana plants )
उत्तरी भारत के तटीय क्षेत्रों में, जहां उच्च नमी और तापमान जैसे 5 से 7 डिग्री सेल्सियस से कम तापमान हो, वहां पर रोपाई के लिए 1.8×1.8 मीटर से कम फासला नहीं होना चाहिए। केले के पौधों को 45x45x45 से.मी. या 60x60x60 से.मी. आकार के गड्ढों में रोपित करें। गड्ढों को धूप में खुला छोड़ें, इससे हानिकारक कीट मर जायेंगे। गड्ढों को 10 किलो रूड़ी की खाद या गला हुआ गोबर, नीम केक 250 ग्राम और कार्बोफ्युरॉन 20 ग्राम से भरें।
रोपाई के लिए केले के पौधों की मात्रा एव उपचार ( Quantity and treatment of Banana plants for transplanting )
केले के खेती में पौधों की रोपाई के लिए फासला 1.8 x 1.5 मीटर लिया जाये तो प्रति एकड़ में 1452 पौधे लगाएं और यदि फासला 2 x 2.5 मीटर लिया जाये, तो एक एकड़ में 1100 पौधे लगाए। रोपाई के लिए, सेहतमंद और संक्रमण रहित पौधों का प्रयोग करें। रोपाई से पहले, इसके पौधों को धोयें और क्लोरपाइरीफॉस 20 ई सी 2.5 मि.ली. प्रति लीटर पानी में डुबोयें। फसल को राइजोम की भुंडी से बचाने के लिए रोपाई से पहले कार्बोफ्युरॉन 3 प्रतिशत सी जी 33 ग्राम में प्रति जड़ों को डुबोयें और उसके बाद 72 घंटों के लिए छांव में सुखाएं। गांठों को निमाटोड के हमले से बचाने के लिए कार्बोफ्युरॉन 3 प्रतिशत सी जी 50 ग्राम से प्रति जड़ का उपचार करें। फुजारियम सूखे की रोकथाम के लिए, जड़ों को कार्बेनडाजिम 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में 15-20 मिनट के लिए डुबोयें।
केले के पौधों की सिंचाई (Irrigation of Banana plants)
केला एक ऐसी फसल है जिसकी जड़ें ज्यादा गहराई तक नहीं जाती। जिस वहज से इसके पौधों को अधिक सिंचाई की आवश्यकता होती हैं। अच्छी उपज के लिए इसे 60-70 सिंचाइयों की आवश्यकता होती है। सर्दियों में 7-8 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें और गर्मियों में 4-5 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें। बारिश के मौसम में आवश्यकतानुसार सिंचाई करें। अतिरिक्त पानी को खेत में से निकाल दें क्योंकि यह पौधों की नींव और वृद्धि को प्रभावित करेगा।
भारत में किन-किन राज्यों में होती है,केले के फूल की खेती ( In which states of India Banana Flower is cultivated )
केले उत्पादन में क्षेत्रफल की दृष्टि से महाराष्ट्र तीसरा सबसे बड़ा केला उत्पादक राज्य है। कुल उत्पादन का लगभग 50 प्रतिशत उत्पादन महाराष्ट्र में होता है। भारत में अधिकांश केले दक्षिणी राज्यों में उत्पादित किए जाते हैं और देश के अन्य राज्यों में निर्यात किए जाते हैं। भारत में केले का सबसे अधिक उत्पादन तमिलनाडु में होता है। गुजरात दूसरे व महाराष्ट्र तीसरे स्थान पर है। तमिलनाडु में केले का वार्षिक उत्पादन 5136200 टन है। आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, केरल, यूपी और एमपी का देश के केला उत्पादन में 70 फीसदी से अधिक योगदान है।
केले की खेती में लागत और कमाई ( Cost and Earnings in Banana Cultivation )
प्रति एकड़ डेढ़ लाख की लागत, वर्तमान समय में केला अच्छी आमदनी वाली फसल के रूप में उभरा। किसान भाई इससे लाखों की कमाई कर रहे हैं। केले पर प्रति एकड़ एक लाख रूपए तक की लागत आती है और ढाई लाख रूपए तक शुद्ध मुनाफा होता है।
आप शबला सेवा की मदद कैसे ले सकते हैं? ( How can you take help of Shabla Seva? )
- आप हमारी विशेषज्ञ टीम से खेती के बारे में सभी प्रकार की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
- हमारे संस्थान के माध्यम से आप बोने के लिए उन्नत किस्म के बीज प्राप्त कर सकते हैं।
- आप हमसे टेलीफोन या सोशल मीडिया के माध्यम से भी जानकारी और सुझाव ले सकते हैं।
- फसल को कब और कितनी मात्रा में खाद, पानी देना चाहिए, इसकी भी जानकारी ले सकते हैं।
- बुवाई से लेकर कटाई तक, किसी भी प्रकार की समस्या उत्पन्न होने पर आप हमारी मदद ले सकते हैं।
- फसल कटने के बाद आप फसल को बाजार में बेचने में भी हमारी मदद ले सकते हैं।
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Padari Bazar, Gorakhpur (UP)