कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग: नए जमाने की खेती, किसानों के लिए फायदा ही फायदा
गुजरात में बड़े पैमाने पर कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग हो रही है। महाराष्ट्र और दक्षिण भारत के कई राज्यों में इस खेती के अच्छे परिणाण सामने आ रहे हैं।
अनुबंध पर खेती का मतलब ये है कि किसान अपनी जमीन पर खेती तो करता है, लेकिन अपने लिए नहीं बल्कि किसी और के लिए कॉन्ट्रैक्ट खेती में किसान को पैसा नहीं खर्च करना पड़ता।
भारत में खेती पूरी तरह से कुदरत के भरोसे है। कभी सूखा तो कभी ज्यादा बारिश, खेत में खड़ी फसल को चौपट कर देते हैं। हमारे देश में ज्यादातर छोटे किसान हैं। ये किसान अपने खेतों में कुछ ज्यादा प्रयोग भी नहीं कर पाते। आलम ये हो गया है कि लोग खेती-बाड़ी छोड़कर शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं। हालांकि खेती के घाटे को कम करने के लिए सरकार बड़े स्तर पर काम कर रही है, लेकिन विविधताओं से भरे इस देश में ये प्रयास पर्याप्त साबित नहीं होते हैं।
सरकार किसानो को आधुनिक तरीके से खेती करने के लिए जागरुक कर रही है। आधुनिक खेती का ही एक नया माध्यम है कॉन्ट्रैक्ट खेती या अनुबंध पर खेती या फिर ठेका खेती।
क्या है कॉन्ट्रैक्ट खेती
अनुबंध पर खेती का मतलब ये है कि किसान अपनी जमीन पर खेती तो करता है, लेकिन अपने लिए नहीं बल्कि किसी और के लिए। कॉन्ट्रैक्ट खेती में किसान को पैसा नहीं खर्च करना पड़ता। इसमें कोई कंपनी या फिर कोई आदमी किसान के साथ अनुबंध करता है कि किसान द्वारा उगाई गई फसल विशेष को कॉन्ट्रैक्टर एक तय दाम में खरीदेगा। इसमें खाद, बीज से लेकर सिंचाई और मजदूरी सब खर्च कॉन्ट्रैक्टर के होते हैं. कॉन्ट्रैक्टर ही किसान को खेती के तरीके बताता है। फसल की क्वालिटी, मात्रा और उसके डिलीवरी का समय फसल उगाने से पहले ही तय हो जाता है।
कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के फायदे
कमीशन फोर एग्रीकल्चर कॉस्ट एंड प्राइजेज (CACP) के प्रमुख पाशा पटेल कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के फायदे गिनाते हुए बताते हैं कि गुजरात में बड़े पैमाने पर कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग हो रही है। महाराष्ट्र और दक्षिण भारत के कई राज्यों में अनुबंध पर खेती की जा रही है और इस खेती के अच्छे परिणाण सामने आ रहे हैं। इससे न केवल किसानों को फायदा हो रहा है बल्कि, खेती की दशा और दिशा भी सुधर रही है।
- खेती अधिक संगठित बनेगी
- किसानों को बेहतर भाव मिलेंगे
- बाजार भाव में उतार-चढ़ाव के जोखिम से किसान मुक्त
- किसानों को बड़ा बाजार मिल जाता है
- किसान को सीखने का अवसर मिलता है
- खेती के तरीके में सुधार होगा
- किसानों को बीज, फर्टिलाइजर के फैसले में मदद मिलेगी
- फसल की क्वॉलिटी और मात्रा में सुधार
कॉनट्रैक्ट फार्मिंग के लिए जरूरी कदम
कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से किसान और कॉन्ट्रैक्टर, दोनों को फायदा हो, इसके लिए कुछ जरूरी उपाय करने चाहिए. जैसे, दोनों पक्षों के बीच होने वाले करार का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन होना चाहिए। किसान और कंपनी के बीच करार पारदर्शी होना चाहिए. कोई भी बात, नियम या शर्त छिपी हुई नहीं होनी चाहिए. सभी बातें स्पष्ट होनी चाहिए।
चूंकि कॉ़न्ट्रैक्ट फार्मिंग किसानों के फायदे का सौदा है इसलिए इसे लेकर जागरुकता अभियान चलाने की जरूरत है। सरकार किसानों को शिक्षित कर सकती है। कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) अधिनियम के दायरे से कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को अलग रखा जाए। किसानों का शोषण नहीं हो इसके लिए सख्त कानून होने चाहिए. ठेके के तहत सभी कृषि उत्पादों का इंश्योरेंस कवर होने चाहिए। किसान और कंपनी के बीच अगर कोई विवाद होता है तो विवाद निपटाने के लिए अथॉरिटी बनाई जानी चाहिए।
कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की चुनौतियां
Media Coverage
Certification
– कम कीमत देकर किसानों के शोषण का डर
– सामान्य किसानों के लिए समझना मुश्किल
– छोटे किसानों को इसका कम होगा फायदा
संपर्क
अधिक जानकारी के लिए हमसे संपर्क करें +91 9335045599 ( शबला सेवा )
आप नीचे व्हाट्सएप्प (WhatsApp) पर क्लिक करके हमे अपना सन्देश भेज सकते है।
Become our Distributor Today!
Get engaged as our distributor of our high quality natural agricultural products & increase your profits.
Padari Bazar, Gorakhpur (UP)