शिमला मिर्च का उपयोग, फायदा एवं शिमला मिर्च की खेती
इसे पहाड़ी मिर्च भी कहते हैं। शिमला मिर्च सब्जी नहीं है। यह असल में एक फल है, लेकिन भारत में इसका इस्तेमाल ज्यादातर सब्जी के रूप में किया जाता है। शिमला मिर्च गुणों की दृष्टि से अपने रंग के समान होती है। अंग्रेजी में इसे Capsicum कहते हैं। मूल रूप से यह सब्जी दक्षिण अमेरिका महाद्वीप की है, जहां इस बात के प्रमाण मिलते हैं कि इसकी खेती पिछले 3000 सालों से की जा रही है।
शिमला मिर्च में पाए जाने वाले पोषक तत्व ( Nutrients found in Capsicum )
शिमला मिर्च में विटामिन ( Vitamin ) C, विटामिन A, विटामिन K, B3, फाइबर ( Fiber ), मैग्नीशियम ( Magnesium ) और कैरोटेनॉयड्स ( Carotenoids ) जैसे पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। शिमला मिर्च की एक खास बात यह है कि इसमें कैलोरी न के बराबर होती है, जिससे कोलेस्ट्रॉल को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है। यह एंटीऑक्सीडेंट ( Antioxidants ) का खजाना है।
शिमला मिर्च के उपयोग एवं स्वास्थ्वर्धक फायदे ( Uses and Health Benefits of Capsicum )
शिमला मिर्च के विभिन्न स्वास्थ्य लाभ हैं। वे असाधारण रूप से विटामिन C और अन्य एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर हैं, जो उन्हें एक स्वस्थ आहार के लिए एक उत्कृष्ट अतिरिक्त बनाते हैं। शिमला मिर्च एक ऐसी सब्जी है जिसे सलाद और सब्जी के रूप में खाया जा सकता है।
शिमला मिर्च आंखों की हेल्थ के लिए फायदेमंद होता है।
शिमला मिर्च दिल को स्वस्थ रखने में मदद करता है।
शिमला मिर्च कैंसर से लड़ने में मददगार होता है।
शिमला मिर्च खून की कमी को दूर करने में बहुत फायदेमंद होती है।
शिमला मिर्च डिप्रेशन को दूर करने में भी काफी मदद करती है।
शिमला मिर्च को अपने आहार में शामिल करने से बदन दर्द को भी कम किया जा सकता है क्योंकि शिमला मिर्च में कुछ ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो दर्द निवारक का काम करते हैं।
शिमला मिर्च की खेती ( Capsicum Cultivation )
शिमला मिर्च की खेती साल में तीन बार की जा सकती है। शिमला मिर्च के बीजों की पहली बुवाई जून–जुलाई में करनी चाहिए, फिर 30 दिनों के बाद पौधे की रोपाई कर देनी चाहिए। शिमला मिर्च के बीजों की दूसरी बुवाई अगस्त सितम्बर में करनी चाहिए, फिर 30 दिनों के बाद पौधे को खेत में लगाना चाहिए। शिमला मिर्च लाल, पीली, बैंगनी, नारंगी और हरी रंग की होती हैं। उत्तर भारत में शिमला मिर्च उगाने का आदर्श समय गर्मियों के आसपास होता है। जबकि भारत के दक्षिणी भागों में इसे साल भर उगाया जा सकता है।
शिमला मिर्च की खेती में मिट्टी, तापमान एवं जलवायु ( Soil, Temperature and Climate in Capsicum Cultivation)
मिट्टी का पी एच स्तर 6 से 6.5 होना बेहतर है। बलुई दोमट मिट्टी में इसकी खेती के लिए अधिक उर्वरकों की आवश्यकता होती है। शिमला मिर्च की खेती के लिए हल्की नम जलवायु सबसे उपयुक्त होती है। पौधों की वृद्धि के लिए तापमान 21 से 25 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए। ठंड ज्यादा होने पर पौधों में फूल कम आते हैं और फलों का आकार भी छोटा व टेढ़ा हो जाता है। अधिक तापमान में भी फूल गिरने लगते हैं। इसका उपज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। चिकनी दोमट मिट्टी इसकी खेती के लिए सबसे उपयुक्त होती है।
शिमला मिर्च की खेती की तैयारी और बुवाई का समय ( Preparation and Sowing time for Capsicum Cultivation )
शिमला मिर्च की अच्छी उपज के लिए मिट्टी लगाना आवश्यक है, यह कार्य 30-40 दिनों की अवस्था में करना चाहिए। शिमला मिर्च की अच्छी उपज के लिए सही समय पर बीज बोना चाहिए। देर से बोने पर बीजों को अंकुरित होने में अधिक समय लगता है। हमारे देश में मौसम के हिसाब से साल में तीन बार शिमला मिर्च की खेती की जा सकती है।
शिमला मिर्च की उन्नत किस्में ( Improved Varieties of Capsicum )
शिमला मिर्च में 20-25 प्रजातियाँ होती हैं, जिनमें से पाँच की व्यापक रूप से खेती की जाती है।
इन्द्रा : यह संकर किस्मों में शामिल है। शिमला मिर्च की इस किस्म के पौधे मध्यम ऊंचाई के होते हैं। इस किस्म की मिर्च मोटी व गुदे वाली होती है। प्रत्येक मिर्च का वजन 100 से 150 ग्राम का होता है। इस किस्म की एक एकड़ भूमि में खेती करने पर 110 क्विंटल तक की पैदावार प्राप्त की जा सकती है।
ओरोबेल (येलो मिर्च) : इस किस्म की खेती मुख्यता ठंड के मौसम में की जाती है। इस किस्म की खेती ग्रीन हाउस के साथ-साथ खुले खेत में भी सफलतापूर्वक की जा सकती है। इस किस्म की मिर्च पकने के बाद पीले रंग की हो जाती हैं।
सोलन हाइब्रिड 2 : यह किस्म अधिक पैदावार देने वाली किस्मों में से एक है। इस किस्म के पौधों की रोपाई के करीब 60 से 65 दिनों बाद मिर्च पककर तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती हैं।
पूसा दीप्ती शिमला मिर्च : पूसा दीप्ती शिमला मिर्च हाइब्रिड किस्म की शिमला मिर्च है। इस मिर्च का पौधा दिखने में माध्यम आकर का झाड़ीनुमा होता है। इस किस्म के शिमला मिर्च के मिर्च का रंग हल्का हरा होता है जो पकने के बाद गहरे लाल रंग में परिवर्तित हो जाता है।
बॉम्बे (रेड): यह शिमला मिर्च की जल्दी पकने वाली किस्मों में से एक है। बॉम्बे रेड किस्म के पौधे लम्बे, मजबूत एवं फैलने वाले होते हैं। मिर्च का सही तरीके से विकास के लिए इसकी खेती के लिए छांव वाले स्थान का चयन करना उपयुक्त होता है। कच्चे मिर्च का रंग गहरा हरा होता है। मिर्च के पकने पर लाल रंग के हो जाते हैं।
इन किस्मों के अलावा हमारे देश में शिमला मिर्च की कई अन्य किस्मों की खेती भी बड़े पैमाने पर की जाती है जिनमें भारत, ग्रीन गोल्ड, सोलन हाइब्रिड 1, यलो वंडर, कैलिफोर्निया वंडर, अर्का गौरव, अर्का मोहिनी, हरी रानी, किंग ऑफ नार्थ, आदि किस्में शामिल हैं।
शिमला मिर्च की खेती में बीज की मात्रा एवं बीज के उपचार ( Seed Quantity and Seed Treatment in Capsicum Cultivation )
शिमला मिर्च के भाव किस्म के आधार पर तय होते हैं। 10 ग्राम बीज 2200 से 3500 रुपये तक के होते हैं। एक हेक्टयर क्षेत्रफल मे 200-250 ग्राम संकर एवं 750 से 800 ग्राम सामान्य किस्म के बीज की आवश्यकता होती है। शिमला मिर्च की खेती करते समय खरपतवार व रोगों का नियंत्रण रासायनिक विधि से करने के लिए खेत तैयार करते समय शिमला मिर्च की दवा 2.22 लीटर की दर से फ्लूक्लोरेलिन (बासालिन) का छिडकाव कर खेत में अच्छे से मिला देना चाहिए या पेन्डीमिथेलिन 3.25 लीटर प्रति हैक्टयर की दर से रोपाई के 7 दिन के अंदर छिड़काव कर देना चाहिए।
शिमला मिर्च की खेती में सिंचाई और उर्वरक प्रबंधन ( Irrigation and Fertilizer Management in Capsicum Cultivation )
मिर्च को पानी देना इस बात पर निर्भर करता है कि वे कहाँ उगाई जाती हैं। अगर काली मिर्च को घर के अंदर उगाया जाता है, तो रोजाना पानी देने की सलाह दी जाती है, जबकि अगर यह बाहर है, तो बारिश होने पर इसे बार–बार पानी देने की जरूरत नहीं पड़ सकती है। यदि तापमान 25° से ऊपर हो जाता है तो दिन में कम से कम दो बार पानी देने की सलाह दी जाती है। शिमला मिर्च के पौधों की रोपाई से पहले खेत की 5 से 6 बार अच्छी तरह जुताई कर लें। जुताई से पहले खेत में अच्छी तरह सड़ी गोबर की खाद मिला दें। इसके बाद खेत में 90 सेंटीमीटर चौड़ी क्यारियां बना लें। इसके बाद पौधे की रोपाई करते समय एक पौधे से दूसरे पौधे की दूरी लगभग 45 सेंटीमीटर रखें। शिमला मिर्च की खेती में अत्यधिक जल भराव न होने दें। शिमला मिर्च की फसल में सामान्यतया गर्मी में एक सप्ताह तथा शीतकाल में 10 से 15 दिन तक सिंचाई उपयुक्त रहती है। शिमला मिर्च की खेती में खरपतवार नियंत्रण के लिए 2 से 3 निराई आवश्यक होती है।
भारत में शिमला मिर्च के उत्पादक राज्य ( Capsicum Producing States in India )
शिमला मिर्च की खेती में लागत और कमाई ( Cost and Earnings in Capsicum Cultivation )
शिमला मिर्च की खेती में लागत ₹100000 के करीब आती है, जबकि उसे ₹450000 का लाभ प्राप्त होता है। बाजार में लाल और पीली शिमला मिर्च का भाव ₹180 से ₹200 प्रति किलो तक मिलता है। इस वजह से उनका मुनाफा ज्यादा होता है।
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