चना का उपयोग, फायदा एवं चना की खेती
चने में पाये जाने वाले खनिज ( Minerals Found in Chickpea\Gram )
चने के स्वास्थ्यवर्धक फायदे ( Health Benefits Of Chickpea\Gram)
2. भीगे हुए चने खाने से पाचन तंत्र मजबूत होता है। दरअसल भीगे हुए चने में फाइबर ( Fiber ) की मात्रा पाई जाती है, जो मुख्य रूप से खाने को पचाने में मदद करता है।
3. आंखों के लिए भी चना बहुत फायदेमंद होता है, क्योंकि इसमें β-कैरोटीन तत्व पाया जाता है। यह तत्व मुख्य रूप से आँख की कोशिकाओं को नुकसान होने से बचाता है, जिससे आँखों की रोशनी स्वस्थ बानी रहती है।
4. गर्भवती महिलाओं के लिए चने का सेवन बहुत फायदेमंद होता है। दरअसल, चने में भरपूर मात्रा में प्रोटीन होता है। यह पेट में पल रहे बच्चे के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इससे मां को भी पर्याप्त ऊर्जा मिलती है।
5. चने में फाइबर की मात्रा अधिक होती है, रोजाना सुबह भीगे हुए चने खाने से लंबे समय तक भूख नहीं लगेगी और वजन कम करने में मदद मिलेगी।
चना की खेती ( Chickpea\Gram Cultivation )
- चने की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी, जलवायु और तापमान (Soil, organisms and temperature suitable for gram cultivation)
चने की खेती किसी भी उपजाऊ और अच्छे जल निकास वाली मिट्टी में की जा सकती है। चने की अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए दोमट मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है। इसकी खेती में भूमि का पीएच( PH ) मान 6 से 7.5 के बीच होना चाहिए। चने का पौधा ठंडी जलवायु का होता है। इसके पौधे ठंडी जलवायु में अच्छी तरह से बढ़ते हैं। इसके पौधे 20 डिग्री ( degree ) तापमान में अच्छे से अंकुरित हो जाते हैं। चने का पौधा अधिकतम 30 डिग्री और न्यूनतम तापमान 10 डिग्री ही सहन कर सकता है, इससे कम तापमान उपज को प्रभावित करता है।
2. चने की उन्नत किस्में ( Improved varieties of gram )
चने की उन्नत किस्मों में जाकी-9218, HC-5, पूसा – 256 आदि प्रमुख रूप से चने की किस्में हैं।
3. चना बोने का सही समय और तरीका ( Right time and method of sowing gram )
इसके बीज रबी की फसल के साथ बोए जाते हैं, सिंचित और असिंचित स्थानों में बीज बोने का समय अलग-अलग होता है। सिंचित स्थानों में बीज बोने के लिए अक्टूबर से दिसंबर के बीच का महीना सबसे उपयुक्त होता है और असिंचित स्थानों में बीजों की रोपाई सितंबर से अक्टूबर के बीच की जाती है। बीजों की बुवाई मशीन से की जाती है, जिसके लिए खेत में कतारें तैयार की जाती हैं और प्रत्येक कतार के बीच एक से डेढ़ फीट की दूरी रखी जाती है। इन बीजों को कतारों में 20 से 25 सेंटीमीटर की दूरी पर 5 से 7 सेंटीमीटर की गहराई पर बोना होता है।
4. खेत की तैयारी ( Field Preparation )
चना बोने से पहले इसके खेत को अच्छे से तैयार कर लिया जाता है, इसके लिए सबसे पहले खेत की गहरी जुताई की जाती है। जुताई के बाद खेत को कुछ देर के लिए ऐसे ही खुला छोड़ दें। इससे खेत की मिट्टी को अच्छी धूप मिलती है और मिट्टी में मौजूद हानिकारक तत्व पूरी तरह नष्ट हो जाते हैं। खेत की पहली जुताई के बाद प्रति हेक्टेयर गोबर की खाद देनी होती है। खाद को खेत में डालने के बाद गोता लगाकर खाद को मिट्टी में अच्छी तरह मिला दिया जाता है। इसके बाद खेत में पानी लगाकर जुताई की जाती है, जुताई के बाद जब खेत की मिट्टी सूखी दिखाई देने लगे, उस समय खेत की दो से तीन तिरछी जुताई कल्टीवेटर से की जाती है।
5. चने के पौधों की सिंचाई ( Irrigation of Chickpea plants )
असिंचित क्षेत्रों में चने की 70 से 75 प्रतिशत बुवाई की जाती है, जिस वजह से इसके पौधों को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती है, जबकि सिंचित स्थानों पर पौधों को पानी देना पड़ता है। इसके पौधों को अधिकतम तीन से चार सिंचाई की आवश्यकता होती है, इसकी पहली सिंचाई बीज बोने के 30 से 35 दिनों के बाद की जाती है और बाद की सिंचाई 25 से 30 दिनों के अंतराल पर करनी होती है।
भारत में किन-किन राज्यों में होती है, चने की खेती ( In which states of India Gram\Chickpea is cultivated )
चने की खेती में लागत और कमाई ( Cost and Earnings in Chickpea\Gram Cultivation )
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