चना का उपयोग, फायदा एवं चना की खेती

चना प्रोटीन से युक्त एक प्रकार का खाद्य पदार्थ है, जिसका वैज्ञानिक नाम साइसर एरीटिनम (Cicer arietinum) है। ज्यादातर लोग चने का सेवन किसी न किसी रूप में करते हैं। कई लोग चने की दाल को पकाकर खाते हैं तो कुछ लोग चने को भून कर खाना पसंद करते है। इसके अलावा कुछ लोग उबले हुए चने खाते हैं। इसके अलावा भीगे हुए चने भी खाए जा सकते हैं। भीगे हुए चने खाना सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। 

चने में पाये जाने वाले खनिज ( Minerals Found in Chickpea/Gram )

चने में प्रोटीन, फाइबर, एनर्जी, आयरन ( Iron ), कैल्शियम ( Calcium ), मैग्नीशियम ( Magnesium ), फॉस्फोरस ( Phosphorus ), जिंक ( Zink ), कॉपर ( Copper ), विटामिन ( Vitamin ) B3 और सोडियम ( sodium )जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसके अलावा चने में एंटी-ऑक्सीडेंट( Anti-oxidant ), एंटी-इंफ्लेमेटरी ( Anti-inflammatory ), एंटी-बैक्टीरियल (Anti-bacterial), और एंटी-फंगल ( Anti-fungal ) गुण भी पाए जाते है।

चने के स्वास्थ्यवर्धक फायदे ( Health Benefits Of Chickpea/Gram )

1. ब्लड शुगर ( Blood sugar ) कम करने के लिए भीगे हुए चने खाना बहुत फायदेमंद होता है।

2. भीगे हुए चने खाने से पाचन तंत्र मजबूत होता है। दरअसल भीगे हुए चने में फाइबर ( Fiber ) की मात्रा पाई जाती है, जो मुख्य रूप से खाने को पचाने में मदद करता है।

3. आंखों के लिए भी चना बहुत फायदेमंद होता है, क्योंकि इसमें β-कैरोटीन तत्व पाया जाता है। यह तत्व मुख्य रूप से आँख की कोशिकाओं को नुकसान होने से बचाता है, जिससे आँखों की रोशनी स्वस्थ बानी रहती है।

4. गर्भवती महिलाओं के लिए चने का सेवन बहुत फायदेमंद होता है। दरअसल, चने में भरपूर मात्रा में प्रोटीन होता है। यह पेट में पल रहे बच्चे के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इससे मां को भी पर्याप्त ऊर्जा मिलती है।

5. चने में फाइबर की मात्रा अधिक होती है, रोजाना सुबह भीगे हुए चने खाने से लंबे समय तक भूख नहीं लगेगी और वजन कम करने में मदद मिलेगी।

चना की खेती ( Chickpea/Gram Cultivation )

चना रबी ऋतु की महत्वपूर्ण दलहनी फसल है। जिसकी खेती पूरे भारत में की जाती है। विश्व का 75 प्रतिशत चना भारत में  उगाया जाता है। चना मानव शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है, इसमें 21 प्रतिशत प्रोटीन ( Protein ) और 60 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट ( carbohydrates ) होता है। चने का उपयोग सब्जी बनाने में किया जाता है, जबकि बाकी पौधे का उपयोग पशुओं के चारे के रूप में किया जाता है। 

चने की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी, जलवायु और तापमान (Soil, Organisms and Temperature suitable for Gram/Chickpea Cultivation)

चने की खेती किसी भी उपजाऊ और अच्छे जल निकास वाली मिट्टी में की जा सकती है। चने की अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए दोमट मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है। इसकी खेती में भूमि का पीएच मान 6 से 7.5 के बीच होना चाहिए। चने का पौधा ठंडी जलवायु का होता है। इसके पौधे ठंडी जलवायु में अच्छी तरह से बढ़ते हैं। इसके पौधे 20 डिग्री ( degree ) तापमान में अच्छे से अंकुरित हो जाते हैं। चने का पौधा अधिकतम 30 डिग्री और न्यूनतम तापमान 10 डिग्री ही सहन कर सकता है, इससे कम तापमान उपज को प्रभावित करता है।

चने की उन्नत किस्में ( Improved Varieties of Gram/Chickpea )

चने की उन्नत किस्मों में जाकी-9218, HC-5, पूसा – 256 आदि प्रमुख रूप से चने की किस्में हैं।

चना बोने का सही समय और तरीका ( Right Time and Method of Sowing Gram/Chickpea )

इसके बीज रबी की फसल के साथ बोए जाते हैं, सिंचित और असिंचित स्थानों में बीज बोने का समय अलग-अलग होता है। सिंचित स्थानों में बीज बोने के लिए अक्टूबर से दिसंबर के बीच का महीना सबसे उपयुक्त होता है और असिंचित स्थानों में बीजों की रोपाई सितंबर से अक्टूबर के बीच की जाती है। बीजों की बुवाई मशीन से की जाती है, जिसके लिए खेत में कतारें तैयार की जाती हैं और प्रत्येक कतार के बीच एक से डेढ़ फीट की दूरी रखी जाती है। इन बीजों को कतारों में 20 से 25 सेंटीमीटर की दूरी पर 5 से 7 सेंटीमीटर की गहराई पर बोना होता है।

खेत की तैयारी ( Field Preparation )

चना बोने से पहले इसके खेत को अच्छे से तैयार कर लिया जाता है, इसके लिए सबसे पहले खेत की गहरी जुताई की जाती है। जुताई के बाद खेत को कुछ देर के लिए ऐसे ही खुला छोड़ दें। इससे खेत की मिट्टी को अच्छी धूप मिलती है और मिट्टी में मौजूद हानिकारक तत्व पूरी तरह नष्ट हो जाते हैं। खेत की पहली जुताई के बाद प्रति हेक्टेयर गोबर की खाद देनी होती है। खाद को खेत में डालने के बाद गोता लगाकर खाद को मिट्टी में अच्छी तरह मिला दिया जाता है। इसके बाद खेत में पानी लगाकर जुताई की जाती है, जुताई के बाद जब खेत की मिट्टी सूखी दिखाई देने लगे, उस समय खेत की दो से तीन तिरछी जुताई कल्टीवेटर से की जाती है। 

चने के पौधों की सिंचाई ( Irrigation of Chickpea plants )

असिंचित क्षेत्रों में चने की 70 से 75 प्रतिशत बुवाई की जाती है, जिस वजह से इसके पौधों को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती है, जबकि सिंचित स्थानों पर पौधों को पानी देना पड़ता है। इसके पौधों को अधिकतम तीन से चार सिंचाई की आवश्यकता होती है, इसकी पहली सिंचाई बीज बोने के 30 से 35 दिनों के बाद की जाती है और बाद की सिंचाई 25 से 30 दिनों के अंतराल पर करनी होती है। 

चना की खेती करने वाले राज्य ( Gram/Chickpea Cultivating States )

भारत में मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और पंजाब चने का मुख्य उत्पादक राज्य हैं।

चने की खेती में लागत और कमाई ( Cost and Earnings in Chickpea\Gram Cultivation )

चने की खेती एक एकड़ में औसतन किसान को 12,000/- रुपए खर्च करने पड़ते हैं। एक एकड़ में औसतन करीब 8 क्विंटल की उपज प्राप्त कर सकता है। जब कोई किसान अपनी उपज बाजार में बेचता है तो उसे 3,400 – 4000/- रुपये प्रति क्विंटल मिलते हैं। तो कुल मिलाकर उसे 8 क्विंटल चने के लिए 27,200 – 32,000/- रुपये मिल सकते हैं। एक एकड़ में चने की खेती से किसान को करीब 15,200 – 20,000/- रुपये की आय होगी।

आप शबला सेवा की मदद कैसे ले सकते हैं? ( How can you take help of Shabla Seva? )

  1. आप हमारी विशेषज्ञ टीम से खेती के बारे में सभी प्रकार की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
  2. हमारे संस्थान के माध्यम से आप बोने के लिए उन्नत किस्म के बीज प्राप्त कर सकते हैं।
  3. आप हमसे टेलीफोन या सोशल मीडिया के माध्यम से भी जानकारी और सुझाव ले सकते हैं।
  4. फसल को कब और कितनी मात्रा में खाद, पानी देना चाहिए, इसकी भी जानकारी ले सकते हैं।
  5. बुवाई से लेकर कटाई तक, किसी भी प्रकार की समस्या उत्पन्न होने पर आप हमारी मदद ले सकते हैं।
  6. फसल कटने के बाद आप फसल को बाजार में बेचने में भी हमारी मदद ले सकते हैं।
kisan-credit-card

संपर्क

अधिक जानकारी के लिए हमसे संपर्क करें +91 9335045599 ( शबला सेवा )

आप नीचे व्हाट्सएप्प (WhatsApp) पर क्लिक करके हमे अपना सन्देश भेज सकते है।

Become our Distributor Today!

Get engaged as our distributor of our high quality natural agricultural products & increase your profits.

Translate »

Pin It on Pinterest

Share This