करेला का उपयोग, फायदा एवं करेला की खेती

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करेला (Bitter Gourd) एक प्रकार का हरी सब्जी होता है, इस पर छोटे-छोटे से कांटे होते है, और यह बेल के रूप में लगते है। करेला की सब्जी स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभदायक होता है। करेला कड़वा होने के कारण, जिसे ज्यादा लोग खाना नहीं पसंद करते है।

करेला का उपयोग (Use of Bitter Gourd)

आयुर्वेद के अनुसार करेला का उपयोग औषधि के रूप किया जाता है और रोगों को ठीक करने का काम भी करता है। इसके अन्दर सफ़ेद बीज होते है। करेले को कच्चे रूप में भी उपयोग किया जाता है। करेला का स्वाद कड़वा होता है, इसलिए इसे बहुत कम ही लोग खाना पसंद करते है। करेले की सब्जी बहुत ही फायदेमंद मानी जाती है | इसे सब्जी के रूप में पकाकर खाने के अलावा करेले का जूस(Juice), करेले का अचार बनाने में भी इस्तेमाल किया जाता है। करेला एक कड़वी सब्जी है, लेकिन इसके सभी गुण मधुर है।

करेला में पाए जाने वाले पोषक तत्त्व (Nutrients Found in Bitter Gourd)

करेला एंटीबायोटिक (Antibiotic) और ऐंटिवायरल (Antiviral)  गुणों से भरपूर होता है। इसमें विटमिन (Vitamin) C, और विटमिन A, भी पाया जाता है। करेले में बीटाकैरोटीन (Bitacareten), आयरन (Iron), जिंक (Zink), पोटैशियम (Potassium), मैग्नीशियम (Magnesium), और मैगनीज (Manganese), जैसे गुणकारी तत्व पाये जाते है।

करेला के सेवन के स्वास्थ्यवर्धक फायदे (Health Benefits of Bitter Gourd)

  1. करेला का सेवन अनेक बीमारियों जैसे, पाचन तंत्र की खराबी, भूख की कमी, पेट दर्द, बुखार, के रोग        में लाभ पहुंचाता है।
  2. करेले में विटामिन ए, पाया जाता है जो आँखों के लिए बहुत लाभकारी होता है। इसके उपयोग से रतौंधी      जैसी बीमारी ठीक होती हैं, जिस रोगी को दिन ढलते ही बहुत कम दीखता है। करेले को काली मिर्च के      साथ लेने से यह आँखों के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है।
  3. करेले में ऐसे तत्व होते हैं, जिससे पेट के कीड़े मर जाते है, और पेट के कई रोग ठीक होते हैं | करेले        का जूस पीने से आंत के रोग भी ठीक होते है, और पाचन क्रिया अच्छी होती हैं |
  4. करेले के सेवन करने से कॉलेस्ट्रोल कम होता हैं, और ब्लड शुगर लेवल भी नियंत्रित रहता हैं |
  5. करेले की ताजी पत्तियों को पीस कर माथे पर लगाने से सिरदर्द से आराम मिलता है।

करेले की खेती (Bitter Gourd Farming)

करेले की खेती सब्जी के रूप में की जाती है। इसके पौधे बेल की तरह होते है, जिस वजह से इसे बेल वाली फसल की श्रेणी में रखा गया है।

करेला की खेती के लिए जलवायु एवं तापमन (Climate and Temperature for Bitter Gourd Cultivation)

करेले की खेती में शुष्क और गर्म जलवायु की आवश्यकता होती है, गर्मियों के मौसम में इसकी पैदावार अच्छी प्राप्त होती है।करेले की खेती केे लिए गर्म वातावरण की आवश्यकता होती है। इसे गर्मी और बारिश दोनों मौसम में सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है। फसल में अच्छी बढ़वार, फूल व फलन के लिए 25 से 35 डिग्री का तापमान अच्छा होता है। बीजों के जमाव के लिए 22 से 25 डिग्री का ताप अच्छा होता है। 

करेला की खेती के लिए मिट्टी एवं जल निकासी (Soil and Water Drainage for Bitter Gourd Cultivation)

भारत में करेले की सब्जी को लगभग सभी जगहों पर उगाया जाता है। बलुई दोमट मिट्टी को इसकी खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है | इसके अलावा भूमि उचित जल निकासी वाली होनी चाहिए। इसकी खेती में 6 से 8 पीएच मान वाली भूमि की आवश्यकता होती है।

करेला की खेती की तैयारी, बुआई और रोपाई) (Preparation for Bitter Gourd Cultivation, Sowing and Transplanting)

प्रति एकड़ 3 से 4 किलो बीज की ज़रूरत पड़ती है। बुआई से पहले बीजों को एक दिन के लिए पानी में भिगोना चाहिए। बुआई के लिए खेत की अच्छी जुताई करके करीब दो फ़ीट पर क्यारियाँ बनाकर इसकी ढाल के दोनों और करीब एक से डेढ़ मीटर की दूरी पर बीजों को रोपना चाहिए।

करेला की खेती में सिंचाई (Irrigation in Bitter Gourd Cultivation)

करेले के पौधों को सामान्य सिंचाई की आवश्यकता होती है | सर्दियों के मौसम में इसके पौधों को 10 से 15 दिन केअंतराल में तथा गर्मियों के मौसम में 5 दिन के अंतराल में सिंचाई की आवश्यकता होती है | बारिश का मौसम होने पर जरूरत के अनुसार ही पानी देना चाहिए।

करेला की उन्नत किस्में (Improved Varieties of Bitter Gourd)

कल्याणपुर बारहमासी, पूसा विशेष, हिसार सलेक्शन, कोयम्बटूर लौंग, अर्का हरित, प्रिया को-1, एस डी यू- 1, कल्याणपुर सोना, पूसा शंकर-1, पूसा हाइब्रिड-2, पूसा, औषधि पूसा, दो मौसमी, पंजाब करेला-1, पंजाब-14, सोलन हरा और सोलन सफ़ेद

पूसा विशेष – उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में फरवरी से जून तक इसकी खेती की जा सकती है। इसके फल मोटे एवं गहरे चमकीले हरे रंग के होते हैं। इसका गूदा मोटा होता है। इस किस्म के पौधों की लंबाई करीब 1.20 मीटर होती है और इसका प्रत्येक फल करीब 155 ग्राम का होता हैं। अब बात करें इसके उत्पादन की तो इस किस्म से प्रति एकड़ में 60 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है।

अर्का हरित –  इस किस्म के फल मध्यम आकार के होते हैं। अन्य किस्मों की तुलना में यह कम कड़वे होते हैं। इस किस्म के फलों में बीज भी कम होते हैं। इसकी खेती गर्मी और बारिश के मौसम में की जा सकती है। प्रत्येक बेल से 30 से 40 फल प्राप्त किए जा सकते हैं। इस किस्म के फलों का वजन करीब 80 ग्राम होता है। प्रति एकड़ खेत से करीब 36 से 48 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है।

पंजाब करेला 1 – इस किस्म के करेले आकार में लंबे, पतले एवं हरे रंग के होते हैं। बुवाई के करीब 66 दिनों बाद इसकी पहली तुड़ाई की जा सकती है। इसका प्रत्येक फल लगभग 50 ग्राम का होता हैं। इस किस्म से प्रति एकड़ करीब 50 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। 

हाईब्रिड करेले की उन्नत किस्में (Improved Varieties of Hybrid Bitter Gourd)

पूसा हाइब्रिड 1 – ये उत्तरी मैदानी क्षेत्रों में खेती करने के लिए यह उपयुक्त है। इसके फल हरे एवं चमकदार होते हैं। इसकी खेती वसंत ऋतु, ग्रीष्म ऋतु एवं वर्षा ऋतु में की जा सकती है। पहली तुड़ाई 55 से 60 दिनों में की जा सकती है। बता करें इसकी उपज की तो  इस किस्म से प्रति एकड़ जमीन से 80 क्विंटल करेले की पैदावार प्राप्त की जा सकता है।

पूसा हाइब्रिड 2 – यह किस्म बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब, छत्तीसगढ़, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, हरियाणा एवं दिल्ली क्षेत्र में खेती के लिए उपयुक्त पाई गई  है। इस किस्म के फलों का रंग गहरा हरा होता है। फलों की लंबाई एवं मोटाई मध्यम होती है। करीब 52 दिनों बाद पहली तुड़ाई की जा सकती है। प्रत्येक करेला करीब 85 से 90 ग्राम का होता है। प्रति एकड़ खेत से 72 क्विंटल पैदावार होती है।

हाइब्रिड करेले की विशेषताएं (Features of Hybrid Bitter Gourd)

  1. हाइब्रिड करेले के पौधे पर बड़े आकार के फल आते हैं और उनकी संख्या भी ज्यादा होती है। 
  2. हाइब्रिड करेला आकार में बड़ा होने के साथ-साथ हरे रंग का होता है। 
  3. हाइब्रिड बीज से उगाए गए करेले के पौधे बहुत जल्दी फल देने लगते हैं।
  4. हाइब्रिड करेले की खेती साल भर की जा सकती है। 
  5. हाइब्रिड करेले के बाजार में बेहतर भाव मिल जाते हैं। 
  6. हाइब्रिड करेले में लागत से दुगुना लाभ लिया जा सकता है।

किन किन राज्यों में होती है करेले की खेती (In which States Bitter Gourd is Cultivated)

करेले की खेती लगभग भारत के सभी राज्यों में की जाती है| करेले में विभिन्न प्रकार के औषधीय गुण पाए जाते है, जिसके कारण बाज़ारों में इसकी मांग अधिक रहती है| पूसा हाइब्रिड 2: करेले की इस किस्म की खेती बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब, छत्तीसगढ़, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, हरियाणा और दिल्ली में आसानी से की जा सकती है।करेले की इस किस्म की पहली तुड़ाई 55 से 60 दिनों में की जा सकती है।

करेले की खेती में लागत और कमाई (Cost and Earning of Bitter Gourd Cultivation)

प्रति एकड़ करीब 30 हजार रुपए की लागत आती है। एक एकड़ में करीब 50 से 60 क्विंटल तक उत्पादन लिया जा सकता है। किसान एक एकड़ में इसकी खेती करके करीब 2 से 3 लाख रुपए तक का मुनाफा प्राप्त कर सकता है।

आप शबला सेवा की मदद कैसे ले सकते हैं? ( How can you take help of Shabla Seva? )

  1. आप हमारी विशेषज्ञ टीम से खेती के बारे में सभी प्रकार की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
  2. हमारे संस्थान के माध्यम से आप बोने के लिए उन्नत किस्म के बीज प्राप्त कर सकते हैं।
  3. आप हमसे टेलीफोन या सोशल मीडिया के माध्यम से भी जानकारी और सुझाव ले सकते हैं।
  4. फसल को कब और कितनी मात्रा में खाद, पानी देना चाहिए, इसकी भी जानकारी ले सकते हैं।
  5. बुवाई से लेकर कटाई तक, किसी भी प्रकार की समस्या उत्पन्न होने पर आप हमारी मदद ले सकते हैं।
  6. फसल कटने के बाद आप फसल को बाजार में बेचने में भी हमारी मदद ले सकते हैं।

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