औषधीय पौधों की खेती से आर्थिक सेहत तंदुरुस्त

इसके पत्ते जमीन में गिरकर खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ाते हैं। कौंच की जड़ प्राकृतिक रूप से भरपूर नाइट्रोजन खेत को उपलब्ध कराती रहती है। अविनाश जी वर्ष 2015 में कौंच की बोवाई की। बाद में ब्राह्माी की भी खेती करने लगे। अभी तीन एकड़ में कौंच और एक एकड़ में ब्राह्माी की खेती कर रहे हैं। उनकी सफलता देख डॉ. एपी सिंह और सुमन कुमार सहित आधा दर्जन किसान भी यह खेती कर रहे हैं।
सिमित शुल्क के साथ (सामान्यतः निशुल्क) बीज और प्रशिक्षण की सुविधा
शबला सेवा संस्थान के अध्यक्षा किरण यादव का कहना है कि किसानों को सिमित शुल्क के साथ (सामान्यतः निशुल्क) बीज और प्रशिक्षण दिया जाता है। किसान के घर पर बाजार उपलब्ध कराते हैं। उपज भी हम खरीदते हैं। खेती करने से पहले फसल का मूल्य निर्धारित किया जाता है। बाजार में फसल की कीमत कम होने पर भी निर्धारित मूल्य पर संस्था खरीदती है।
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Padari Bazar, Gorakhpur (UP)