ड्रैगन फ्रूट का उपयोग, फायदा एवं ड्रैगन फ्रूट की खेती
ड्रैगन फ्रूट एक फल है। ड्रैगन फ्रूट को पिताया भी कहते है। गुजरात में कमलम कहा जाता है क्युकि इसके बीज कमल के बीज की तरह होते हैं। यह चमकीले रंग और काले बीज वाला यह फल बहुत ही स्वादिष्ट होता है। यह फल ज्यादातर एशिया, मैक्सिको, मध्य अमेरिका और दक्षिण अमेरिका में पाया जाता है। इसके और भी कई नाम हैं जैसे पिताया, पिठैया आदि। यह फल रसीला होता है और इसका स्वाद कुछ–कुछ कीवी या तरबूज जैसा होता है।
ड्रैगन फ्रूट में पाए जाने वाले पोषक तत्व (Nutrients found in Dragon fruit)
ड्रैगन फ्रूट में बीटालेन (Betalains), पॉलीफेनोल्स (Polyphenols) और एस्कॉर्बिक एसिड (Ascorbic Acid) जैसे कई एंटी–ऑक्सीडेंट (Antioxidants) गुण पाए जाते हैं। ड्रैगन फ्रूट में खासकर प्रोटीन (Protein), फाइबर (Fiber), आयरन (Iron), मैग्नीशियम (Magnesium), विटामिन (Vitamin) C और विटामिन E पाया जाता है। इसमें विटामिन B1, विटामिन B2, और विटामिन B3 पाए जाते है।
ड्रैगन फ्रूट के सेवन के स्वास्थ्वर्धक फायदे (Health benefits of consuming Dragon fruit)
ड्रैगन फ्रूट खाने से कोलेस्ट्रॉल कम करने में मदद मिलती है।
हार्ट अटैक जैसी बीमारी के खतरे को दूर करता है।
ड्रैगन फ्रूट खाने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
ड्रैगन फ्रूट खाने से कब्ज, अपच और पेट दर्द ठीक होता है।
इसे खाने से शरीर में खून की कमी दूर हो जाती है।
यह कमजोरी और थकान को दूर करने का काम करता है।
ड्रैगन फ्रूट खाने से जोड़ों और दांतों की कमजोरी दूर होती है।
यह हड्डियों को मजबूत करने का काम करता है।
ड्रैगन फ्रूट की खेती (Dragon fruit Cultivation)
पौधों में मई–जून के महीने में फूल लगते हैं और अगस्त से दिसंबर तक फल आते हैं। फूल आने के एक महीने के बाद ड्रेगेन फ्रूट को तोड़ा जा सकता है। इस अवधि में एक पेड़ से कम से कम 5-6 बार फल तोड़ा जा सकता है। कच्चे फलों का रंग गहरे हरे रंग का होता जबकि पकने पर इसका रंग लाल हो जाता है।
ड्रैगन फ्रूट की खेती में मिटटी, तापमान एवं जलवायु (Soil, Temperature and Climate in Dragon fruit Cultivation)
ड्रैगन फ्रूट को विभिन्न प्रकार की मृदाओं में उगाया जा सकता है परन्तु अच्छे जल निकास वाली रेतिली दोमट मिट्टी उत्तम होती है। बेहतर जिवाश्म और जल निकासी वाली बलुवाई मिट्टी इसकी उपज के लिए सबसे बेहतर है। फलों की गुणवत्ता एवं रंग भारी मृदाओं की अपेक्षा हल्की मृदाओं में अच्छा होता है। ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 5.5 से 7.5 तक उपयुक्त होता है। कम वर्षा वाले क्षेत्र ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए उपयुक्त माने जाते हैं। ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए उष्ण जलवायु जिसमें निम्नतम वार्षिक वर्षा 50 से. मी. और तापमान 20 से 36 डिग्री सेल्सियस हो, सर्वोत्तम मानी जाती है।
ड्रैगन फ्रूट की खेती की तैयारी और बुवाई का समय (Dragon fruit cultivation preparation and Sowing time)
इसकी खेत को अच्छी तरह जोंत कर समतल बनाना चाहिए ताकि मिट्टी में मौजुद सारे खरपतवार खत्म हो जाएं। जुताई के बाद कोई भी जैविक कंपोस्ट अनुपातनुसार मिट्टी में दिया जाना चाहिए। एक हेक्टेयर जमीन में 80-90 टन अच्छी सड़ी हुई खाद् अच्छे से बिखेर कर मिटटी में मिला दे। साथ में पोटाश और फास्फोरस भी मिट्टी परीक्षण के आधार पर खेत तैयार करते समय मिला दे। ड्रैगन फ्रूट की खेती में प्रचार का सबसे आम तरीका कटिंग है। गुणवत्ता वाले पौधे की छंटाई कर ही ड्रैगन फ्रूट के नमूने तैयार करने चाहिए। खेत में बिजाई के लिए लगभग 25 सेंटीमीटर लम्बे नमूने का प्रयोग करना चाहिए। इन पौधों को गाय के सूखे गोबर के साथ मिट्टी, रेत और गाय के गोबर को मिलाकर लगाना चाहिए। इन गड्ढों में पौधे रोपने के बाद मिट्टी, खाद और 200 ग्राम सुपर फास्फेट भी मिलाना चाहिए। यह ध्यान रखना चाहिए कि इन्हें लगाने से पहले छाया में रखना चाहिए ताकि सूरज की तेज रोशनी इन पौधों को नुकसान न पहुंचा सके। गड्ढा भरने के बाद सिंचाई कर देनी चाहिए ताकि मिट्टी ठीक से बैठ जाए। इन पौधों को तेजी से बढ़ने में मदद करने के लिए लकड़ी के तख्तों या कंक्रीट का इस्तेमाल किया जा सकता है।
ड्रैगन फ्रूट की उन्नत किस्में (Improved varieties of Dragon Fruit)
ड्रैगन फ्रूट तीन प्रकार के होते हैं, सफेद रंग के गूदे वाले लाल रंग के फल, लाल रंग के गूदे वाले लाल रंग के फल, सफेद रंग के गूदे वाले पीले रंग के फल। कैक्टस की नस्ल से मिलने वाले ड्रैगन फ्रूट में हमारे शरीर के लिए काफी अच्छा प्रोटीन उपलब्ध होता है। यह एक अनूठा फूल है जो रात के दौरान तेजी से बढ़ता है, इसलिए इसे रात की रानी के नाम से जाना जाता है।
ड्रैगन फ्रूट की खेती में पौधा की मात्रा एवं उपचार (Plant quantity and treatment in dragon fruit cultivation)
एक एकड़ खेत में ड्रैगन फ्रूट के अधिकतम 1750 पौधे लगाने चाहिए। गमला आपको थोड़ा बड़ा लेना होगा। गमले में 2 से 3 जगह छेद होना चाहिए। ड्रैगन फ्रूट के लिए आप प्लास्टिक और मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल कर सकते हैं । ड्रैगन फ्रूट को दिन के 8 घंटे तक धूप लगाना चाहिए। पौधा में चीटियां लग रही हैं तो आप जैविक कीटनाशक का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके पौधों में अब तक किसी तरह के कीट लगने या पौधों में किसी तरह की बीमारी होने का मामला सामने नहीं आया है। ड्रेगेन फ्रूट के पौधे एक साल में ही फल देने लगते हैं।
ड्रैगन फ्रूट के खेती में सिंचाई और उर्वरक प्रबंधन (Irrigation and Fertilizer management in Dragon Fruit Cultivation)
ड्रैगन की सिंचाई के लिए ड्रिप सिंचाई बेस्ट रहती है। रोपाई के तुरंत बाद पानी दे फिर एक सप्ताह उपरांत सिचाई करे गर्मी के दिनों में आवश्यकता अनुसार सिंचाई करे। अन्य फसल की तुलना में ड्रैगन फ्रूट को काफी कम पानी की आवश्यकता होती है। खाद की खुराक मिट्टी की जांच के बाद ही तय करें। ड्रेगेन फ्रूट के पौधों की वृद्धि के लिए कार्बनिक पोषक तत्व प्रमुख भूमिका निभाते हैं। प्रत्येक पौधे की वृद्धि के लिए 20 से 25 किलो जैविक उर्वरक दिया जाना चाहिए। इसके बाद प्रत्येक साल दो किलो जैविक खाद की मात्रा बढ़ाई जानी चाहिए। रासायनिक खाद प्रत्येक साल 250 ग्राम बढ़ाया जाना चाहिए जिसे बढ़ाकर 5 किलो तक किया जा सकता है।
ड्रैगन फ्रूट की खेती किन राज्यों में होती है (In which states Dragon fruit is Cultivated)
हमारे देश में पंजाब, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों में इसका सर्वाधिक उत्पादन किया जा रहा है। भारत में ड्रैगन फ्रूट फल की खेती तेजी से बढ़ रही है और कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, गुजरात, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, मिजोरम और नागालैंड के किसानों ने इसकी खेती शुरू कर दी है। ड्रैगन फल की खेती दक्षिण पूर्व एशिया में, संयुक्त राज्य अमेरिका, कैरिबियन, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और दुनिया के उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में की जाती है, लेकिन आजकल भारत में इसकी मांग ज्यादा होने और महंगा होने की वजह से इसकी खेती भारत में होने लगी है। ड्रैगन फ्रूट मुख्य रूप से थाइलैंड, वियतनाम, इज़रायल और श्रीलंका में लोकप्रिय है।
ड्रैगन फ्रूट की खेती में लागत और कमाई (Cost and Earning in Dragon fruit Cultivation)
इसकी शुरुआत में 4-5 लाख रुपये का खर्चा आ सकता है। । अगर आप 1 एकड़ जमीन पर ड्रैगन फ्रूट की खेती करने की योजना बना रहे हैं तो आप आसानी से 8-10 लाख सालाना तक कमा सकते हैं। आप जितनी जमीन में इस पर खेती करेंगे, उससे आप कमाई का अंदाजा लगा सकते हैं। बाजार में 150 -200 रु किलो तक दाम मिलने की वजह से हाल के दिनों में भारत में भी इसकी खेती का प्रचलन बढ़ा है। ड्रैगन फ्रूट एक सीज़न में 3 से 4 बार फल देता है प्रति फल का वजन लगभग 400 से 800 ग्राम तक होता है। एक पोल पर 60 से 100 फल तक लगते है जिनका अनुमानित वजन 18 से 25 किलो होता है।
आप शबला सेवा की मदद कैसे ले सकते हैं? ( How can you take help of Shabla Seva? )
- आप हमारी विशेषज्ञ टीम से खेती के बारे में सभी प्रकार की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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- आप हमसे टेलीफोन या सोशल मीडिया के माध्यम से भी जानकारी और सुझाव ले सकते हैं।
- फसल को कब और कितनी मात्रा में खाद, पानी देना चाहिए, इसकी भी जानकारी ले सकते हैं।
- बुवाई से लेकर कटाई तक, किसी भी प्रकार की समस्या उत्पन्न होने पर आप हमारी मदद ले सकते हैं।
- फसल कटने के बाद आप फसल को बाजार में बेचने में भी हमारी मदद ले सकते हैं।
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