किसान चीया की खेती कर, कमा रहे मुनाफा
जिला मुख्यालय से करीब तीस किलोमीटर की दूरी पर बाबूबरही प्रखंड (बिहार) के गांव छौरही निवासी किसान अविनाश कुमार वैज्ञानिकी खेती कर रहे हैं। वे विदेशी फसल चीया की खेती करीब दो एकड़ में कर रहे हैं। इसकी खेती में लागत कम मुनाफा अधिक है। चीया की खेती शबला सेवा संस्थान गोरखपुर के सहयोग से इस गांव में हो रही है। ज्वार के दाने के आकार के बीज वाली चीया, जिसे साल्विया भी कहा जाता है।
मूलत:16वीं शताब्दी में मैक्सिको और ग्वाटेमाला में उपजाई जाने वाली फसल है। बैंगनी और सफेद फूलों वाले पौधे यौवनावस्था में बेहद खूबसूरत दिखाई देता हैं। इसके बीज ज्वार के दानों के आकार के हल्के भूरे-काले होते हैं। बाजार में यह महंगा खाद्यान्न के रूप में बिकता है यानि किसान के लिए भी यह फसल बेहद फायदेमंद है। इसका बाजार भी काफी व्यापक है। अविनाश जी दो एकड़ में खेती कर रहे हैं और एक लाख रुपए सालाना कमा रहे हैं। साथ ही संस्था से जुड़े किसान अविनाश कि मदद से किया कि खेती कर रहे है एवं आमदनी का फायदा उठा रहे है।
एक एकड़ में 50 हजार का मुनाफा
शबला सेवा संस्थान के अध्यक्षा किरण यादव का कहना है कि चीया की खेती से किसान भाई एक एकड़ में पचास हजार से अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। संस्था फसल को खरीद भी लेती है। फसल बेचने के लिए किसान को भटकना नहीं पड़ता है।
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