हरी मिर्च का उपयोग, फायदा एवं हरी मिर्च की खेती

हरी मिर्च भारत की एक महत्तवपूर्ण फसल है, जिसका उपयोग कड़ी, आचार, चटनी बनाने और अन्य सब्जियों में मुख्य तौर पर किया जाता है। मिर्च में तीखापन कैपसेसिन ( Capsaicin ) नाम के एक तत्व के कारण होता है, जिसे दवाइयों के तौर पर प्रयोग किया जाता है। मिर्च का मूल स्थान मैक्सिको को माना जाता है। भारत में मिर्ची 17वीं सदी में पुर्तगालियों के द्वारा गोवा लायी गयी थी। कैपसेसिन में बहुत सारी दवाइयां बनाने वाले तत्व पाए जाते हैं। 

हरी मिर्च में पाए जाने वाले पोषक तत्व ( Nutrients Found in Green Chilly )

हरी मिर्ची में विटामिन ( Vitamin ) A, विटामिन B, विटामिन C, एंटीऑक्सिडेंट ( Anti-Oxidant ), कैल्शियम ( Calcium ), जिंक ( Zink ) और आयरन ( Iron )  जैसे तत्व पाये जाते है।

हरी मिर्च के स्वास्थ्वर्धक लाभ ( Health Benefits of Green Chilly )

  1. हरी मिर्च खाने से इम्यूनिटी बूस्ट के लिए फायदे करता है।
  2. हरी मिर्च खाने से हृदय को स्वस्थ रखता है।
  3. हरी मिर्च आंखों और त्वचा के लिए काफी लाभदायक होता है।
  4. हरी मिर्च में भोजन को पचाने में और पाचन क्रिया को स्वस्थ बनाने में फायदेमंद होता है।
  5. हरी मिर्च में वजन को घटाने में मदद करता है।
  6. मिर्च खाने से खून साफ होता है, और नसों में खून का बहाव तेजी से होता है।

हरी मिर्च की खेती ( Green Chilly Cultivation )

हरी मिर्ची की खेती आप आसानी से कर सकते है। हरी मिर्ची की खेती वर्षा, शरद, ग्रीष्म तीनों मौसम मे की जा सकती है, परन्तु हरी मिर्ची की मुख्य फसल खरीफ जून से अक्टूबर मे तैयार की जाती है।

हरी मिर्च की खेती के लिए तापमान एवं जलवायु ( Temperature and Climate for Green Chilly Cultivation )

हरी मिर्च की खेती के लिए २० से ३० डिग्री सेल्सियस तापमान होना चाहिये। इसकी अच्छी उपज के लिए उष्णीय और उपउष्णीय जलवायु की आवश्यकता होती है। तापमान तथा जल की कमी से कलियाँ, पुष्प एवं फल गिरने लगते है। हरी मिर्च की खेती के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु उपयुक्त रहती है। वैसे इसकी खेती हर तरह की जलवायु में हो सकती है, तो वहीं इसके लिए ज्यादा ठंड व गर्मी दोनों ही हानिकारक होते है। इसके अलावा हरी मिर्च की फसल पर पाले का प्रकोप अधिक होता है।

हरी मिर्च की खेती के लिए भूमि को तैयार करना ( Soil Preparation

for Green Chilly Cultivation )

हरी मिर्च की फसल को सभी प्रकार की भूमि पर उगाया जा सकता है। दोमट या बलुई मिट्टी उपुयक्त होती है। जिसमें कार्बनिक पदार्थ की मात्रा अधिक हो।

हरी मिर्च का बीजोपचार ( Seed Treatment of Green Chilly )

बीज हमेशा उपचारित करके ही बोने चाहिए ताकि बीज जनित फफूंद से फैलने वाले रोगों को काबू किया जा सके। बीज उपचार के लिए 1.5 ग्राम थाइरम, 1.5 ग्राम कार्बेंडाजिम या 2.5 ग्राम डाइथेन एम 45 या 4 ग्राम ट्राइकोडर्मा विरडी का प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से इस्तेमाल करना चाहिए।

बीज बोने की विधि ( Seed Sowing Method )

सबसे पहले नीचे की तरफ जल निकासी छेद के साथ अपनी पसंद का कंटेनर लें। कंटेनर के गमलों को 2 : 1 अनुपात के साथ मिट्टी में अच्छी गुणवत्ता वाली जैविक खाद के साथ भरें। एक गमले के केंद्र पर 2 बीज बोएं। उभरे हुए सीड्स को 2 x 2 फुट के अंतराल से 2 बीज प्रति स्थान पर रोपें। बीज को अपनी उंगलियों से मिट्टी के माध्यम में थोड़ा दबाएं और उन्हें आसपास की मिट्टी से पूरी तरह से ढक दें। तुरंत बोये हुए बीज को किसी वाटरिंग कैन से पानी दें।

हरी मिर्च की खेती के लिए पानी की व्यवस्था और सिंचाई ( Watering and irrigation for Green Chilly Cultivation )

मिर्च की पौधषाला की तैयारी के समय 2-3 टोकरी वर्मी कंपोस्ट या पूर्णतया सड़ी गोबर खाद 50 ग्राम फोटेट दवा / क्यारी मिट्टी में मिलाऐं। बुवाई के 1 दिन पूर्व कार्बन्डाजिम दवा 1.5 ग्राम/ली. पानी की दर से क्यारी में टोहा करे। अगले दिन क्यारी में 5 सेमी दूरी पर 0.5-1 सेमी गहरी नालियाँ बनाकर बीज बुवाई करें।

हरी मिर्च के पौधे की देखभाल ( Green Chilli Plant Care )

सूरज की रोशनी ( Sunlight )

हरी मिर्च के पौधे को कम सूर्य के प्रकाश की आवश्यकता होती है। इसलिए इन्हे चमकदार धुप में रखा जाना चाहिए

पानी देने की तकनीक ( Watering )

गर्मियों में हर दिन अपने पके हुए हरी मिर्च के पौधे को पानी दें, प्लांट को पानी देते समय यह सुनिश्चित कर ले की पानी प्लांट के ऊपर बौछार के रूप में करना है न की तेज धार के रूप में ।

खाद डालना ( Fertilizing )

बीज बोने से पहले 2 : 1 अनुपात के साथ मिट्टी में अच्छी गुणवत्ता वाली जैविक खाद डालें। जैविक खाद अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद, खेत की खाद, वर्मी कम्पोस्ट या वर्मीकम्पोस्ट हो सकती है।

उत्तम सजावट ( Perfect Decoration )

हरी मिर्च के पौधे 45 दिन से अधिक पुराने हो जाये , तो प्रति पौधे 15:15:15 (एनपीके) उर्वरक का 1 बड़ा चम्मच प्रदान करें या प्रत्येक पौधे के आसपास मिट्टी में मुट्ठी भर वर्मीकम्पोस्ट मिलाएं। .

पौधे की देखभाल ( Plant Care )

हमेशा किसी भी कीट / फंगल / किसी अन्य संक्रमण के शुरुआती लक्षणों की तलाश करें। ऐसी बीमारियों के किसी भी लक्षण के दिखते ही उचित दवाओं का छिड़काव करें। .

फसल की कटाई ( Crop Cutting )

आप बुआई के 40-50 दिनों के बाद हरी मिर्च की तुड़ाई शुरू कर सकते हैं। अगले 3 महीनों तक कटाई का मौसम जारी रह सकता है।

हरी मिर्च का उपयोग ( Use of Green Chili )

सब्जी, आचार, मसालेदार भोजन, पकौड़ी, बनाने में प्रयोग की जाती है। हरी मिर्ची के कई सारे व्यंजन भी बनाए जाते है। इसका तीखापन खाने में स्वाद बढ़ाने का काम करता है। हरी मिर्च किसी भी खाने का स्वाद बढ़ाने का काम करती है, और किसी भी व्यंजन को बनाने में हरी और लाल दोनों मिर्च का उपयोग करते हैं, लेकिन लाल मिर्च की तुलना में हरी मिर्च को सेहत के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है।

हरी मिर्च के उत्पादक राज्य ( Green Chilly Producing States )

भारत में हरी मिर्च की खेती आंध्र प्रदेश,तामिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, उड़ीसा राजस्थान जैसे राज्यों में किया जाता है।

हरी मिर्च की खेती में लागत और कमाई ( Cost and Earning in Green Chilly Cultivation )

हरी मिर्च की एक एकड़ खेती की लागत औसतन 35-40 हजार रूपये आती है। इसमें इसकी औसतन उपज 60 क्विंटल तक हो जाती है। बाजार में यह 20 रुपये प्रति किलो के भाव से भी बिके, तो भी किसान को 35-40 हजार रुपये की लागत में करीब एक लाख 20 हजार रूपये मिलेंगे।

आप शबला सेवा की मदद कैसे ले सकते हैं? ( How Can You Take Help of Shabla Seva? )

  1. आप हमारी विशेषज्ञ टीम से खेती के बारे में सभी प्रकार की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
  2. हमारे संस्थान के माध्यम से आप बोने के लिए उन्नत किस्म के बीज प्राप्त कर सकते हैं।
  3. आप हमसे टेलीफोन या सोशल मीडिया के माध्यम से भी जानकारी और सुझाव ले सकते हैं।
  4. फसल को कब और कितनी मात्रा में खाद, पानी देना चाहिए, इसकी भी जानकारी ले सकते हैं।
  5. बुवाई से लेकर कटाई तक, किसी भी प्रकार की समस्या उत्पन्न होने पर आप हमारी मदद ले सकते हैं।
  6. फसल कटने के बाद आप फसल को बाजार में बेचने में भी हमारी मदद ले सकते हैं।
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