तुलसी आंवला कि खेती ने बढ़ाया संस्था का हौसला
बिजनेस करने का पहला उसूल है कुछ नया करने की चाह रखना। गोरखपुर के अविनाश कुमार ने दो साल पहले इस बात को समझ लिया था। तभी तो उन्होंने पारंपरिक खेती को छोड़कर जड़ी-बूटी एवं दवाई के रूप में इस्तेमाल होने वाले पौधों की खेती की तरफ रुख किया, जिससे न सिर्फ इनकी किस्मत चमकी बल्कि और भी किसानों को इससे फायदा मिला है।-
सरकारी नौकरी छोड़कर शुरू की खेती
40 वर्षीय अविनाश कुमार एक अच्छी सरकारी नौकरी कर रहे थे। 2005 में उन्होंने नौकरी छोड़कर गोरखपुर और मधुबनी में अपने पुश्तैनी खेतों में खेती करना शुरू किया। लेकिन पारंपरिक खेती में अधिक मेहनत और लागत के बाद भी मुनाफा कम मिलता था। ऐसे में उन्होंने कुछ और करने की सोची। 2016 में उन्होंने मेडिसनल पौधों की खेती करनी शुरू की। इन जड़ी-बूटियों की बाजार में काफी मांग है। कई बड़ी कंपनियां इन्हें हाथों-हाथ खरीदती हैं। लिहाजा अपने 22 एकड़ खेतों में उन्होंने तुलसी, ब्रह्मी, कौंच, आंवला, शंखपुष्पी, मंडूकपर्णी समेत कई जड़ी बूटियां उगानी शुरू की।
दो साल में ही मिलने लगा मुनाफा
संस्था के संस्थापक डॉ अविनाश कुमार ने बताया कि इस काम में उनकी पत्नी ने उनका साथ दिया। उन्होंने 32 प्रकार की जड़ी-बूटियों पर शोध किया कि कौन सा पौधा किस जगह के लिए उपयुक्त रहेगा। दोनों ने इस खेती करने के लिए 1.20 लाख रुपए की पूंजी लगाई। अपनी मेहनत के दम पर दो साल में ही उन्होंने अपनी सालाना कमाई 40 से 45 लाख रुपए तक पहुंचा दी। फिलहाल वे लोग 14 प्रकार की जड़ी-बूटियां उगा रहे हैं। इसमें वे जैविक खाद का प्रयोग करते हैं। उन्होंने बताया कि पिछले साल उनके खेतों में तुलसी की पैदावार 800 क्विंटल हुई, कौंच की फसल 200 क्विंटल हुई। उन्होंने शबला सेवा संस्थान नाम से अपनी संस्था भी शुरू की, जिसमें उनकी पत्नी किरण यादव अध्यक्षा हैं।
कम मेहनत में ज्यादा फायदा उन्होंने बताया कि पारंपरिक खेती के मुकाबले इसमें कम मेहनत लगती है और मुनाफा ज्यादा होता है। इसमें लागत के ऊपर 100 फीसदी तक का मुनाफा कमाया जा सकता है। मधुतुलसी, ब्रह्मी जैसी कुछ फसलों को एक बार बोने के बाद दो साल तक काटा जा सकता है। गेहूं, धान की खेती में एक एकड़ फसल से 4-5 हजार की कमाई होती है जबकि इसमें 30-35 हजार रुपए तक की कमाई हो सकती है। 2000 किसानों को जोड़ा अपने साथ इन दो सालों के दौरान प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड, झारखंड, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के 2000 किसान उनसे जुड़े, जिन्हें अविनाश कुमार औषधीय खेती की बारीकियां भी सिखाते हैं और पारंपरिक खेती में ज्यादा मुनाफा कैसे पाया जाए इस बारे में भी सलाह देते हैं।
उन्होंने अपने घर पर ही ट्रेनिंग सेंटर भी खोल रखा है, जहां वे प्रशिक्षण देते हैं। उन्होंने बताया कि वे किसानों से इन जड़ी-बूटियों को खरीदते भी हैं। किसान अपने खेत में औषधीय पौधों के बीज रोपें उससे पहले ही वे किसान की राय लेकर फसल की कीमत तय कर देते हैं, जिससे किसान को कोई नुकसान न हो।
आसान नहीं रहा सफर जब उन्होंने पारंपरिक खेती छोड़कर औषधीय पौधों की खेती के बारे में सोचा तो लोगों ने हतोत्साहित भी किया, डराया और आज भी डराते हैं कि इस काम में नुकसान होगा। इसके बावजूद अविनाश कुमार डटे रहे। भारत सरकार के कृषि विश्वविद्वालयों के वैज्ञानिकों ने उनका मार्गदर्शन किया। जिसके बाद अपनी मेहनत से उन्होंने औषधियोंकी खेती को फायदे का सौदा बना दिया। अब वे कई कृषि विद्यालयों में लेक्चर देने भी जाते हैं।
Media Coverage
Certifications
संपर्क
अधिक जानकारी के लिए हमसे संपर्क करें +91 9335045599 ( शबला सेवा )
आप नीचे व्हाट्सएप्प (WhatsApp) पर क्लिक करके हमे अपना सन्देश भेज सकते है।
Become our Distributor Today!
Get engaged as our distributor of our high quality natural agricultural products & increase your profits.
Padari Bazar, Gorakhpur (UP)