जामुन का उपयोग, फायदा एवं जामुन की खेती

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जामुन (Blackberry)  भारत में ही नहीं बल्कि पुरे विश्व में पाये जाने वाला पेड़ का फल है, जिसका जिक्र आयुर्वेद के अनुसार यूनानी और चीनी दवाओं की पद्धति में बड़े पैमाने पर जामुन के स्वास्थ्य के लाभों के बारे में बताया गया है। भारत में जामुन का सांस्कृतिक रूप से बड़ा ही महत्व है। जामुन को जमाली, राजमन, ब्लैकबेरी और काला जामुन के नामों से भी जानते है। जामुन एक सदाबहार वृक्ष है, जिसका फल काले व बैंगनी रंग का होता है। जामुन का पेड़ 25 से 30 फ़ीट तक ऊँचा हो सकता है। इसके फलो के अंदर छोटे आकार की गुठली पायी जाती है।

जामुन के उपयोग ( Use of Blackberry )

इसके फलो के अंदर छोटे आकार की गुठली पायी जाती है। लोग जामुन के फल को बहुत ज्यादा खाना पसंद करते है, जो स्वाद में मीठे और रसदार होते है। जामुन का उपयोग जेली, शरबत, जैम, सिरका और शराब जैसी चीजों को बनाने के लिए किया जाता है। इसका पूरा ही वृक्ष काम में लाया जाता है। इसके पेड़ से फर्नीचर के समान बनाये जाते है, जैसे कुर्सी, मेज, बेंच इत्यादि।

जामुन में पाए जाने वाले पोषक तत्व ( Nutrients found in Blackberry )

आयुर्वेद के अनुसार जामुन के फल में बहुत सारे औषधीय गुण पाए जाते हैं, जो डायबिटीज (Diabetes) को कंट्रोल करने के लिए बेहद फायदेमंद माना गया है। जामुन में आयरन (Iron), कैल्शियम (Calcium), प्रोटीन (Protein), फाइबर (Fiber), कार्बोहाइड्रेड (Carbohydrates) पाया जाता है, जो बच्चों और बड़ो के स्वास्थ्य के लिए भी बहुत ही लाभदायक होता है। इसमें विटामिन (Vitamin) A, और विटामिन C, भरपूर मात्रा में पाया जाता है।

जामुन के सेवन के स्वास्थ्वर्धक फायदे ( Health benefits of consuming Blackberry )

१. जामुन का सेवन करने से पेट से संबंधित समस्याएं दूर होती हैं। आप जामुन की छाल का काढ़ा बनाकर     पी सकते हैं। इससे पेट दर्द और अपच जैसी समस्याएं दूर हो जाती है।
२. जामुन का सेवन करने से शरीर में खून की कमी पूरी होती है। जामुन का सेवन करने से शरीर में खून        का स्तर बढ़ जाता है।
३. जामुन खाने से पेट दर्द, डायबिटीज, गठिया, पेचिस, पाचन संबंधी समस्याओं को ठीक करने में                 लाभदायक होता है।
४. मस्तिष्क की कोशिकाओं की क्षमता घटने के कारण सोचने की शक्ति कमजोर होने लगती है। जामुन        सोचने की शक्ति को बढ़ाने में मदद करते है।
५. जामुन शरीर की इम्युनिटी सिस्टम को बढ़ाने में मदद करता है।

जामुन की बागवानी ( Blackberry Cultivation )

Blackberryजामुन समशीतोष्ण और उष्णकटिबंधीय जलवायु वाला पौधा है। ठंडे प्रदेशो के अलावा जामुन के पौधों को कही भी उगाया जा सकता है। इसके पौधे को गर्मी और बारिश का कोई खास असर नहीं पड़ता है। लेकिन इसके पौधों के लिए सर्दियों में गिरने वाला पाला अधिक हानिकारक होता है। इसके पौधे पर फल बारिश के मौसम में अच्छे से पकते है, तथा फूल बनने के दौरान बारिश की आवश्यकता नहीं होती है। 7–8 साल में जामुन का पेड़ फल देने लग जाता है

जामुन की खेती के लिए मिटटी, तापमान एवं जलवायु ( Soil, Temperature and Climate in Blackberry Cultivation )
जामुन की बागवानी करने के लिये सबसे पहले भुरभुरी मिट्टी में नर्सरी तैयार की जाती है। जामुन की बागवानी किसी भी उपजाऊ मिट्टी में की जा सकती है, किन्तु उचित जल निकासी वाली भूमि को जामुन की पैदावार के लिए उपयुक्त माना जाता है। इसकी बागवानी कठोर और रेतीली भूमि में नहीं किया जाता है | जामुन की बागवानी के लिए में भूमि का पीएच मान 5 से 8 के बीच होना चाहिए। जामुन के पौधों को शुरू में अंकुरित होने के लिए 20 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है, तथा पौध को बढ़ने के लिए सामान्य तापमान की जरुरत होती है। 

जामुन की खेती की तैयारी और बुवाई का समय ( Blackberry cultivation Preparation and  Sowing Time )

नर्सरी तैयार होने के बाद बीजों से अंकुरण निकलना शुरू हो जाता है, जो धीरे धीरे वह पौधा का रूप लेना शुरू कर देता है। पौधे लगाने के समय गड्ढे को अच्छी मिट्टी और सड़ी गोबर की खाद डालनी चाहिए। मानसून शुरू होने पर जामुन के पौधों की रोपाई कर देनी चाहिए। 

जामुन की उन्नत किस्में ( Improved Varieties of Blackberry )

राजा जामुन, सी.आई.एस.एच. जे – 45, काथा, गोमा प्रियंका, भादो

राजा जामुन – जामुन की इस प्रजाति को भारत में अधिक पसंद किया जाता है। इस किस्म के फल आकर में बड़े, आयताकार और गहरे बैंगनी रंग के होते हैं। इसके फलों में पाई जाने वाली गुठली का आकार छोटा होते हैं। इसके फल पकने के बाद मीठे और रसदार बन जाते हैं।

जामुन की पौध की रोपाई ( Planting of Blackberry Seedlings )

जामुन की पौध बीज के माध्यम से पौधों को उगाने के लिए एक गड्डे में एक या दो बीज को लगभग 5 सेंटीमीटर की गहराई में लगाना चाहिए। उसके बाद जब पौधा अंकुरित हो जाए तब अच्छे से विकास कर रहे पौधे को रखकर दूसरे पौधे को नष्ट कर देना चाहिए। जामुन के पौधे बारिश के मौसम में जून से अगस्त तक लगाने चाहिए। इससे पौधा अच्छे से विकास करता है।

जामुन की की खेती में सिंचाई और उर्वरक प्रबंधन ( Irrigation and Fertilizer Management in Blackberry Cultivation )

उर्वरक की मात्रा मिट्टी की जांच के आधार पर निर्धारित करनी चाहिए। खाद पौधे के तने से 30 सेंटीमीटर दूर और पौधे के फैलाव तक डालें। इसके पश्चात् अच्छी तरह गुड़ाई करके सिंचाई करें।

भारत में किन किन राज्यों में जामुन की खेती की जाती है ( In which states of India Blackberry is cultivated )

सरकारी आकड़े के अनुसार एक हेक्टेयर जामुन की खेती की लागत 60,000 रुपये निर्धारित की गई है, जिस पर सभी राज्यों के किसानों को 50 फीसदी की सब्सिडी यानी 30 हजार रुपये तक दिए जाएंगे | जामुन के पेड़ 5 से 6 वर्ष के बाद फल आने लगता है लेकिन लगभग 8 साल बाद पूर्ण रूप से फल देना शुरू करते हैं | पूर्ण रूप से तैयार होने के बाद एक पौधे से 80 से 90 किलो तक जामुन प्राप्त हो जाती है,जबकि एक हेक्टेयर में लगभग 250 से ज्यादा पेड़ लगाए जा सकते हैं | जिनका कुल उत्पादन 25000 किलो तक प्राप्त हो जाता है, जिसका बाज़ार भाव 100 से 120 रूपये किलो के आसपास पाया जाता हैं | इस हिसाब से एक बार में एक हेक्टेयर से लगभग 20 लाख तक की कमाई कर सकते हैं |

जामुन की खेती में लागत एवं कमाई ( Cost and Earning in Blackberry Cultivation )

सरकारी आकड़े के अनुसार एक हेक्टेयर जामुन की खेती की लागत 60,000 रुपये निर्धारित की गई है, जिस पर सभी राज्यों के किसानों को 50 फीसदी की सब्सिडी यानी 30 हजार रुपये तक दिए जाएंगे | जामुन के पेड़ 5 से 6 वर्ष के बाद फल आने लगता है लेकिन लगभग 8 साल बाद पूर्ण रूप से फल देना शुरू करते हैं | पूर्ण रूप से तैयार होने के बाद एक पौधे से 80 से 90 किलो तक जामुन प्राप्त हो जाती है,जबकि एक हेक्टेयर में लगभग 250 से ज्यादा पेड़ लगाए जा सकते हैं | जिनका कुल उत्पादन 25000 किलो तक प्राप्त हो जाता है, जिसका बाज़ार भाव 100 से 120 रूपये किलो के आसपास पाया जाता हैं | इस हिसाब से एक बार में एक हेक्टेयर से लगभग 20 लाख तक की कमाई कर सकते हैं |

आप शबला सेवा की मदद कैसे ले सकते हैं? ( How can you take help of Shabla Seva? )

  1. आप हमारी विशेषज्ञ टीम से खेती के बारे में सभी प्रकार की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
  2. हमारे संस्थान के माध्यम से आप बोने के लिए उन्नत किस्म के बीज प्राप्त कर सकते हैं।
  3. आप हमसे टेलीफोन या सोशल मीडिया के माध्यम से भी जानकारी और सुझाव ले सकते हैं।
  4. फसल को कब और कितनी मात्रा में खाद, पानी देना चाहिए, इसकी भी जानकारी ले सकते हैं।
  5. बुवाई से लेकर कटाई तक, किसी भी प्रकार की समस्या उत्पन्न होने पर आप हमारी मदद ले सकते हैं।
  6. फसल कटने के बाद आप फसल को बाजार में बेचने में भी हमारी मदद ले सकते हैं।

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