चमेली का उपयोग, फायदा एवं चमेली की खेती
भारत के अलावा कई अन्य देशों में चमेली के फूल को बहुत लोकप्रिय माना जाता है, इस फूल को भारत में रात की रानी का फूल भी कहा जाता है। इसका सबसे बड़ा कारण इसकी सुगंध और चमेली के फायदे हैं। इस फूल के अंदर से एक प्यारी सी खुशबू निकलती है, जो पूरी तरह से महक कर हमारे आसपास के पूरे वातावरण को खुशनुमा बना देता है। इस फूल का रंग और आकार दोनों ही शानदार है।
चमेली के तेल में पाए जाने वाले पोषक तत्व (Nutrients found in Jasmine Oil)
चमेली के तेल में फ्लेवोनॉयड (Flavonoid), ग्लाइकोसाइड (Glycoside), सैपोनिंस (Saponins), टैनिन्स (tannins) और फेनोलिक यौगिक (Phenolic compound), एन्थ्रानिलेट (Anthranilate), बेनोज़िक एसिड (Benanous Acid) आदि तत्व पाए जाते जो इस तेल को औषधीय गुणों से समृद्ध बनाते है।
चमेली के तेल के स्वास्थ्वर्धक फायदे (Health benefits of Jasmine Oil)
- मुंह के छालों से राहत दिलाता है।
- चमेली के पत्ते कान के दर्द में लाभकारी होते हैं।
- पेट के कीड़ों के लिए फायदेमंद।
- सिर दर्द में भी लाभ होता है।
- फटी एड़ियों के लिए चमेली फायदेमंद होती है।
चमेली के फूल की खेती (Jasmine flower Cultivation)
चमेली एक महत्वपूर्ण फूल की फसल है, जो भारत में हर जगह व्यावसायिक रूप से उगाई जाती है। यह 10–15 फीट की ऊंचाई तक पहुंचता है। इसके सदाबहार पत्ते 2.5 इंच लंबे, हरे, पतले तने और सफेद फूल वाले होते हैं।
चमेली की खेती के लिए मिटटी, तापमान एवं जलवायु (Soil, Temperature and Climate for Jasmine Cultivation)
चमेली को विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उगाया जाता है, जिसमें अच्छी तरह से सूखा और दोमट से लेकर रेतीली मिट्टी होती है जिसमें कार्बनिक पदार्थ होते हैं, लेकिन यह रेतीली और अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी में सर्वोत्तम परिणाम देता है। बेहतर परिणाम के लिए अच्छी खेती के लिए मिट्टी का पीएच 6.5 मान होना चाहिए। चमेली की खेती गर्म और आर्द्र जलवायु में सबसे अच्छी होती है। सामान्य परिस्थितियों में गर्म और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु इसके लिए सर्वोत्तम मानी जाती है। इसकी कुछ किस्मों को समशीतोष्ण जलवायु में भी आसानी से उगाया जा सकता है। इसके पौधों की वृद्धि के लिए 24 सेंटीग्रेड से 32 सेंटीग्रेड का तापमान सबसे उपयुक्त होता है।
चमेली की उन्नत किस्में (Improved varieties of Jasmine)
चमेली की उन्नत किस्में जैस्मीन फैक्सिल, चमेली पैवेलिकन, चमेली अरिकुलटम आदि है। इसकी हाइब्रिड किस्मों पूसा हाइब्रिड-1, पूसा हाइब्रिड-2, पूसा हाईब्रिड-4, रश्मि और अविनाश-2 प्रमुख रूप से उन्नत किस्में हैं। इसके अलावा इसकी अर्का रक्षक किस्म बंपर उत्पादन देने वाली किस्म मानी जाती है।
चमेली की खेत की तैयारी (Jasmine farm Preparation)
चमेली की खेती के लिए खेत की तैयारी में पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से और दो से तीन जुताई देशी हल या कल्टीवेटर से करनी चाहिए। जुताई के बाद खेत को समतल कर स्लेट का बना लेना चाहिए। भूमि की तैयारी के समय पुरानी फसलों के अवशेषों को इकट्ठा करके जला दें, वहीं गाय के गोबर की सड़ी हुई खाद को खेत में मिला देना चाहिए।
चमेली की खेती के लिए सिंचाई की व्यवस्था (Irrigation arrangement for Jasmine Cultivation)
चमेली जाति के पौधों में अधिक सिंचाइयों की आवश्यकता होती है। सिंचाई की संख्या जमीन, किस्म व जलवायु पर निर्भर करती है। साधारणत: ग्रीष्मकाल में 1 सप्ताह के अंतर से और शीतकाल में 2 सप्ताह के अंतर से सिंचाई करते रहना चाहिए। बरसात में सिंचाइयों की आवश्यकता नहीं होती है।
चमेली में फूल आने का समय एवं उपयोग (Flower time and Use of Jasmine)
इसके फूल मार्च से जून के महीने में खिलते हैं। यह मुख्य रूप से पुष्पांजलि, सजावट और भगवान की पूजा के लिए प्रयोग किया जाता है। इसकी तेज गंध के कारण, इसका उपयोग इत्र और साबुन, क्रीम, तेल, शैंपू और कपड़े धोने के डिटर्जेंट में सुगंध के रूप में किया जाता है।
चमेली की खेती किन राज्यों में की जाती है (In Which States Jasmine is Cultivated)
भारत में इसके मुख्य उत्पादक राज्य पंजाब, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और हरियाणा हैं।
चमेली की खेती में लागत और कमाई (Cost and Earnings in Jasmine Cultivation)
आप भी चमेली की खेती करना चाहते हैं तो आपके पास कम से कम 2 बीघा जमीन होनी चाहिए। अच्छी किस्म के पौधे लगाने और खेती की तैयारी में करीब 30 से 40 हजार रुपये खर्च होंगे, वहीं अगर आपको अच्छा बाजार मिले, शादियों और त्योहारों में आपके फूल पहुंचें, तो हर महीने 50 हजार रुपये तक की कमाई की जा सकती है।
आप शबला सेवा की मदद कैसे ले सकते हैं? ( How can you take help of Shabla Seva? )
- आप हमारी विशेषज्ञ टीम से खेती के बारे में सभी प्रकार की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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- आप हमसे टेलीफोन या सोशल मीडिया के माध्यम से भी जानकारी और सुझाव ले सकते हैं।
- फसल को कब और कितनी मात्रा में खाद, पानी देना चाहिए, इसकी भी जानकारी ले सकते हैं।
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