गांठ गोभी का उपयोग, फायदा एवं गांठ गोभी की खेती

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गांठ गोभी(Kohlrabi) का आकार हुबहू शलजम की तरह व आकार एक बड़े सेब की तरह होता है। बंद गोभी और फूल गोभी के अलावा एक और वह भी की प्रजाति होती है, उसे गांठ गोभी कहते हैं। यह सफेद गोभी की ही एक किस्म है जो पोषक तत्वों से भरपूर होने से सेहत के लिए फायदेमंद होती है। यह सफेद, हरे, पीले और बैंगनी रंग में मिलती है। यह यूरोपियों देशों में मिलती है, लेकिन अब भारत के उत्तरी भाग में खाई जाती है।

गांठ गोभी में पाए जाने वाले पोषक तत्व ( Nutrients found in Kohlrabi )

गांठ गोभी में एन्टी एजिंग (Anti Aging) तत्व होने के साथ-साथ इसमें विटामिन (Vitamin) A, विटामिन C, विटामिन B, पर्याप्त मात्रा में होते है। गांठ गोभी में प्रोटीन अन्य सब्जियों के तुलना में अधिक पायी जाती है। गांठ गोभी में कैल्शियम (Calcium), फास्फोरस (Phosphorus), प्रोटीन (Protein), आयरन (Iron), कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrates), मैग्नीशियम (Magnesium) जैसे पोषक तत्व पाये जाते है, जो मानव शरीर के लिए आवश्यक होता है। गांठ गोभी कैंसर (Cancer) के खतरे को कम करने के लिए उपयोगी हैं, क्योंकि इसमें आइसोथायोसाइनेट्स (Isothiocyanates), सल्फाफेन (Sulforaphane) और इंडोल-3-कार्बिनोल (Indole-3-Carbinol) सहित बहुत से शक्तिशाली फाइटोकेमिकल्स (Phytochemicals) होते है, जो कैंसर से लड़ने में मदद करते है।

गांठ गोभी का उपयोग एवं उसके स्वास्थ्वर्धक फायदे (Uses of Kohlrabi and its Health Benefits)

गांठ गोभी बीटा कैरोटिन का सबसे अच्छा स्रोत होता है। जो शरीर में एक एंटीऑक्सिडेंट यौगिक की तरह काम करता है। इससे आंखें तेज होती हैं, व मोतियाबिंद की समस्या कम या धीमी होती है। ये आँखों में होने वाले तनाव को भी कम करती है।

  1.  गांठ गोभी खाने से डाईजेशन सिस्टम को दुरुस्त रखती है, इसमें फाइबर का अच्छा स्रोत होता है, जो         पेट सम्बंधित सभी परेशानियों से निजात दिलाता है।
    2.  गांठ गोभी में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट गुण शरीर में कैंसर की कोशिकाओं को पनपने से रोकता है।
    3 . गांठ गोभी में बीटा कैरोटीन पाया जाता है। जो एंटी ऑक्सीडेंट यौगिक जैसे काम करता है। इससे               आंखों की रोशनी तेज होती है। ऐसे में आपको मोतियाबिंद होने का खतरा कम होता है।
    4 . गांठ गोभी में पोटैशियम उचित मात्रा में पाए जाते हैं, जो ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद करती है।     इसे खाने से ब्लड सर्कुलेशन होता है। इसके साथ धमनियां भी स्वस्थ रहती है। ये आपको हार्ट अटैक,         स्ट्रोक और दिल से जुड़ी कई बीमारियों से बचाता है।

गांठ गोभी की खेती ( Kohlrabi Cultivation )

गांठ गोभी के बीजों को 1 सेंटीमीटर गहराई पर एक दूसरे से लगभग 4 से 6 सेंटीमीटर की दूरी पर मिट्टी में लगाना है। बीज लगाने के बाद आप गमले की मिट्टी में हल्की मात्रा में पानी दें। गाठं गोभी के बीज 5 से 10 दिनों में अंकुरित हो जायेगें। और उचित देखभाल के साथ आपको 45 से 60 दिनों के बाद गांठ गोभी सब्जी प्राप्त होने लगेगी।

गांठ गोभी की खेती में आवश्यक जलवायु, मिट्टी, और तापमान ( Climate, Soil, and Temperature required in the Cultivation of Kohlrabi )
गांठ गोभी ठन्डे मौसम की फसल है, इसकी खेती शरद कालीन फसल के रूप में की जाती है। लेकिन दक्षिणी भारत में इसे खरीफ के मौसम में उगाया जाता है। गांठ गोभी के लिए दोमट मिट्टी सर्वोत्तम होती है, बालुई दोमट मिट्टी की अपेक्षा मृतिका दोमट मिट्टी में अच्छी उपज होती है। गांठ गोभी की खेती कश्मीर, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब दक्षिण भारत के राज्यों में की जाती है।

गांठ गोभी की खेती की तैयारी और बुवाई का समय ( Kohlrabi Preparation and Sowing Time )

इस फसल की बुवाई मैदानी क्षेत्रों में अगस्त से अक्टूबर माह में उपयुक्त होती है। मध्य क्षेत्रों में बुवाई लिए जुलाई से अक्टूबर माह उपयुक्त है। ऊँचे क्षेत्रों में इसकी बुवाई मार्च से जुलाई माह में उपयुक्त है।

गांठ गोभी की उन्नत किस्में ( Improved Varieties of Kohlrabi )

अर्ली, कुंआरी, पूसा कातिकी, पूसा दीपाली, समर किंग, पूसा स्नोबाल-1, पूसा स्नोबाल-2, पूसा स्नोबाल-16, पंत सुभ्रा, पूसा सुभ्रा, पूसा सिन्थेटिक, पूसा अगहनी, पूसा स्नोबाल

गांठ गोभी की बीज की मात्रा एवं बीज उपचार ( Kohlrabi Seed Quantity and Seed Treatment )

गाँठ गोभी अत्यधिक अम्लीय और क्षारीय मिट्टी के प्रति संवेदनशील है। मौसम के अनुसार एक हेक्टेयर भूमि के लिए लगभग 1-1.5 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है।

बीज उपचार करने के लिए भौतिक, रासयनिक तथा जैविक विधि का प्रयोग किया जाता है। बीज उपचार में पौधों को बीमारियों एवं कीटों से मुक्त रखने के लिए रसायन, जैव रसायन या ताप से उपचारित किया जाता हैं। पोषक तत्व स्थिरीकरण हेतु जीवाणु कलचर से भी बीज उपचार किया जाता है । बीज को सर्वप्रथम फफूंदनाशी से उसके बाद कीटनाशी से 2 घंटे बाद और अन्त में राईजोबियम कल्चर से 4 घंटे बाद उपचारित करें। कवकनाशी, कीटनाशी तथा जैविक नियंत्रण क्रम गैर दलहनी फसलों पर लागू करनी चाहिए।

गर्म जल द्वारा बीजोपचार ( Seed Treatment with Hot Water ) – इस विधि का प्रयोग अधिकतर जीवाणु एवं विषाणुओं की रोकथाम के लिए किया जाता है। इस विधि में बीज या बीज के रूप में प्रयोग होनेवाले भागों को 53-54 डिग्री सेल्सियस तापमान किया 15 मिनट एक रखा जाता है जिससे रोगजनक नष्ट हो जाते है, जबकि बीज अंकुरण पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता।

रेत द्वारा बीजोपचार ( Seed Treatment with Sand ) –  रेत के साथ बीजों को पीटकर या एक अपघर्षक स्लैब पर बीजों को रगड़कर यांत्रिक परिशोधन प्राप्त किया जा सकता है। ये दोनों तकनीकें सरल और सस्ती हैं, और इन्हें सफल पाया गया है।

गांठ गोभी की सिंचाई, खरपतवार नियंत्रण और उर्वरक प्रबंधन ( Irrigation, Weed Control and Fertilizer Management of Kohlrabi )

अच्छी व उत्तम उपज के लिए 100 किलोग्राम नाइट्रोजन, 50 किलोग्राम फास्फोरस तथा 80 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता होती है। गांठ गोभी के खेत की तैयारी के समय लगभग 100 से 150 क्विंटल गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर भूमि में मिला देनी चाहिए। समय-समय पर निंदाई-गुड़ाई कर खरपतवारों को नष्ट कर देना चाहिए। यदि गांठ गोभी सीधे खेत में बोई गई है तो पहली निंदाई के समय पंक्तियों में फालतू उग आए पौधों को इस प्रकार निकालना चाहिए कि पौधे से पौधे की दूरी 20 से 22 सेंटीमीटर हो जाए। यह काम तब करना चाहिए जब पौधों में 3 से 4 पत्तियां निकल आएं। गांठों की वृद्धि के समय उन पर थोड़ी- थोड़ी मिट्टी चढ़ा देनी चाहिए।

गांठ गोभी की खेती किन किन राज्यों में होती है ( In which states is Kohlrabi cultivated?)

इसकी खेती कश्मीर, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, असम, उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब एवं दक्षिण भारत के कुछ क्षेत्रों में प्रमुखता से की जाती है।

गांठ गोभी की खेती में लागत और कमाई ( Cost and Earnings in Kohlrabi Cultivation )

इसे 1 एकड़ की जमीन में भी लगाते हैं, तो इससे आप प्रतिवर्ष 6 लाख रूपये तक की कमाई आसानी से कर सकते हैं। इस तरह से सहजन की खेती करने के व्यवसाय से आप कम पैसों में अधिक फायदा प्राप्त कर सकते हैं। यह काफी लाभकारी पौधा होता हैं क्योंकि इसमें औषधीय गुण पाए जाते हैं।

डॉ अविनाश कुमार का सहजन की खेती में अनुभव (Dr. Avinash Kumar’s Experience for Drumstick Cultivation)

गोरखपुर के अविनाश कुमार ने 3 साल पहले  2020-2021 में इसकी खेती शुरू की है। उन्होंने बताया कि 15 हजार रुपए में तीन से चार किलो बीज और खेत की जुताई और बीज रोपाई में मजदूरी शामिल होगी। वे खेती में देसी खाद का प्रयोग करते हैं क्योंकि खेती प्राकृतिक तरीके से करते हैं। उन्होंने बताया कि एक साल में फली आने लगती है। आजकल बाजार में इसकी पत्तियों की काफी मांग है। इसकी पत्तियों की पहली कटाई 6 माह में की जाती है। उन्होंने बताया कि उनकी संस्था शबला सेवा संस्थान इसकी पत्तियां भी खरीद लेती है।

आप शबला सेवा की मदद कैसे ले सकते हैं? ( How can you take help of Shabla Seva? )

  1. आप हमारी विशेषज्ञ टीम से खेती के बारे में सभी प्रकार की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
  2. हमारे संस्थान के माध्यम से आप बोने के लिए उन्नत किस्म के बीज प्राप्त कर सकते हैं।
  3. आप हमसे टेलीफोन या सोशल मीडिया के माध्यम से भी जानकारी और सुझाव ले सकते हैं।
  4. फसल को कब और कितनी मात्रा में खाद, पानी देना चाहिए, इसकी भी जानकारी ले सकते हैं।
  5. बुवाई से लेकर कटाई तक, किसी भी प्रकार की समस्या उत्पन्न होने पर आप हमारी मदद ले सकते हैं।
  6. फसल कटने के बाद आप फसल को बाजार में बेचने में भी हमारी मदद ले सकते हैं।

संपर्क

अधिक जानकारी के लिए हमसे संपर्क करें +91 9335045599 ( शबला सेवा )

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