लीची का उपयोग, फायदा एवं लीची की खेती

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लीची ( Litchi )  एक प्रकार का फल होता है। यह एक ऊष्णकटिबन्धीय फल है। लीची गर्मियों का एक प्रमुख फल है, जो स्वाद में मीठा और रसीला होने के साथ ही ये सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है। लीची को पानी का अच्छा स्रोत माना जाता है। इसका फल ड्रूप प्रकार का होता है, तथा इसका छिलका गुलाबी-लाल, मैरून तथा दाने दार होता है, यह जुलाई से अक्टूबर के मध्य होता है, जो मीठा, सफ़ेद एवं गुदा वाला होता है। 

लीची में जाने वाले पोषक तत्व ( Nutrients Found in Litchi )

इसमें विटामिन (Vitamin) C, विटामिन B6 , रिबोफ्लाविन (Riboflavin), फोलेट पोटैशियम (Folate Potassium), मैग्‍नीशियम (Magnesium), फॉस्‍फोरस (Phosphorus) और मैगनीज (Manganese) अच्‍छी मात्रा में पाया जाता है।

लीची का उपयोग एवं उसके स्वास्थवर्धक फायदे ( Litchi use and its Health Benefits )

हमारे शरीर और पेट को ठंडक प्रदान करता है।

1. लीची में विटामिन सी की अच्‍छी मात्रा होती है। जो हमारी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में महत्‍वपूर्ण योगदान देता है।
2. जो लोग उच्च रक्तचाप से परेशान रहते है, उन्हें लीची का सेवन अवश्य करना चाहिए।
3. लीची हमारे पाचन तंत्र को भी अच्छा रखता है।
4. लीची हमारी हड्डियों को मजबूत रखने में भी मदद करता है।
5. लीची का जूस पिने से ब्लड का सर्कुलेशन भी ठीक रहता है।
6. लीची का सेवन हमारे बालो के लिए भी फायदेमंद होता है।

लीची की बागवानी ( Litchi Gardening )

सेंटी मीटरलीची मुख्यतः मैडागास्कर, नेपाल, भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान, दक्षिण ताइवान, उत्तरी वियतनाम, इंडोनेशिया, थाईलैंड, फिलीपींस और दक्षिण अफ्रीका में पायी जाती है। इसकी उचाई 15–20 मीटर तक होती है, और इसकी पत्तियां लगभग 15–25 सेंटीमीटर लम्बी होती हैं। 

लीची की बागवानी में आवश्यक जलवायु, मिट्टी, और तापमान ( Climate, Soil, and Temperature required in litchi Cultivation )

इसकी बुवाई से पहले जमीन की 3 से 4 बार समतल जुताई कर दे। लीची का बाग वर्गाकार पद्धति में लगायें, मई के प्रथम या द्वितीय सप्ताह में 9 – 10 मीटर की दूरी पर 90 सेंटीमीटर व्यास एवं 90 सेंटीमीटर गहराई वाले गढ़े खोदकर खुला छोड़ दें। जून के द्वितीय सप्ताह में कम्पोस्ट 40 किलोग्राम, चूना (जहाँ चूने की कमी हो) 2–3 किलोग्राम, पोटाश 1 किलोग्राम थीमेट, 50 ग्राम खाद गढ़े से निकाली गई मिट्टी में मिलाकर पुनः गढ़े में भर दें।

लीची की उन्नत किस्में ( Improved Varieties of Litchi )

शाही, त्रिकोलिया, अझौली, ग्रीन, देशी, रोज सेंटेड,डी-रोज,अर्ली बेदाना, स्वर्ण, चाइना, पूर्वी, कसबा

लीची की बागवानी की तैयारी और बुवाई का समय ( Preparation and Sowing time for litchi Gardening )

इसकी बुवाई से पहले जमीन की 3 से 4 बार समतल जुताई कर दे। लीची का बाग वर्गाकार पद्धति में लगायें, मई के प्रथम या द्वितीय सप्ताह में 9 – 10 मीटर की दूरी पर 90 सेंटी मीटर व्यास एवं 90 सेंटी मीटर गहराई वाले गढ़े खोदकर खुला छोड़ दें। जून के द्वितीय सप्ताह में कम्पोस्ट 40 किलोग्राम, चूना (जहाँ चूने की कमी हो) 2–3 किलोग्राम, पोटाश 1 किलोग्राम थीमेट, 50 ग्राम खाद गढ़े से निकाली गई मिट्टी में मिलाकर पुनः गढ़े में भर दें।

लीची के बीज की मात्रा, बीज उपचार एवं संरक्षण ( Litchi seed quantity, Seed treatment and Protection )

2*2 फीट के जगह में 6 बीज लगाए। लीची के बीजों को पहले फंफूदीनाशक दवा से, फिर कीटनाशक से उपचारित करना चाहिए तथा उसके बाद जैविक कल्चर से उपचार करना चाहिए। उपचारित बीज को छांव में अच्छी तरह से सुखाना चाहिए। लीची को विभिन्न प्रकार के कीड़ों एवं रोगों का प्रकोप रहता है, अतः लीची के पौधों से अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए कीटनाशकों एवं रोगो  का समय पर प्रबंधन जरूरी है।

लीची की खेती में सिंचाई और उर्वरक प्रबंधन ( Irrigation and Fertilizer Management in Litchi Cultivation )

लीची की खेती में गोबर की खाद 10 किलो ग्राम, कैन 240 ग्राम या यूरिया 120 ग्राम, सिंगल सुपर फास्फेट 190 ग्राम और म्यूरेट ऑफ पोटाश 50 ग्राम प्रति पौधा एक वर्ष आयु के पौधों की आवश्यकता होती है।

किन किन राज्यों में होती है लीची की खेती ( In Which States Litchi is Cultivated )

जम्मू कश्मीर, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में लीची उगाई जाती थी, लेकिन आज बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, असम और त्रिपुरा, छत्तीसगढ़, उत्तरांचल, उड़ीसा, हरियाणा तथा पंजाब समेत 13 राज्य इसका बंपर उत्पादन कर रहे हैं। लीची झारखंड प्रदेश का एक महत्वपूर्ण फल होता जा रहा है। बिहार लीची उत्पादन में अग्रणी राज्य है जिसके बाद पश्चिम बंगाल और असम का स्थान आता है।

लीची की खेती में लागत और कमाई ( Cost and Earnings in Litchi Cultivation )

एक हेक्टेयर में लीची की खेती करने में लगभग 1 से 2 लाख का खर्च आता है। प्रति हेक्टेयर लगभग 10 टन तक उत्पादन मिल जाता है। बाजार में लीची 60 से 100 रुपए किलो तक बिक जाती है। लागत की बात करें तो लीची की खेती पहले दूसरे साल ही ज्यादा लागत लगती है।

आप शबला सेवा की मदद कैसे ले सकते हैं? ( How can you take help of Shabla Seva? )

  1. आप हमारी विशेषज्ञ टीम से खेती के बारे में सभी प्रकार की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
  2. हमारे संस्थान के माध्यम से आप बोने के लिए उन्नत किस्म के बीज प्राप्त कर सकते हैं।
  3. आप हमसे टेलीफोन या सोशल मीडिया के माध्यम से भी जानकारी और सुझाव ले सकते हैं।
  4. फसल को कब और कितनी मात्रा में खाद, पानी देना चाहिए, इसकी भी जानकारी ले सकते हैं।
  5. बुवाई से लेकर कटाई तक, किसी भी प्रकार की समस्या उत्पन्न होने पर आप हमारी मदद ले सकते हैं।
  6. फसल कटने के बाद आप फसल को बाजार में बेचने में भी हमारी मदद ले सकते हैं।

संपर्क

अधिक जानकारी के लिए हमसे संपर्क करें +91 9335045599 ( शबला सेवा )

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