कमल ककड़ी का उपयोग, फायदा एवं कमल ककड़ी की खेती

कमल भारत का राष्ट्रीय पुष्प है। कमल एक बारहमासी जलीय पौधा होता है, जिसकी जड़े बेलनाकार व भूरे रंग की होती है। कमल के सारे भाग उपयोग में लाये जाते हैं, इसकी जड़ जिसे कमल ककड़ी अथवा कमल जड़ कहते हैं , जिसका उपयोग व्यंजन बनाने में किया जाता है। जम्मू और कश्मीर में कमल ककड़ी को नादरू के नाम से जाना जाता है। कमल ककड़ी को अंग्रेजी भाषा में लोटस कुकम्बर ( Lotus Cucumber ) या कमल जड़ ( Lotus Root ) कहा जाता है | कमल ककड़ी का वैज्ञानिक नाम नेलुम्बो न्यूसीफेरा ( Nelumbo Nucifera ) है। यह भारत के सभी वर्षा वाले क्षेत्रों में होता है तथा ईरान से लेकर आस्ट्रेलिया तक पाया जाता है। कमल ककड़ी को बुंदेलखंड क्षेत्र में मुरार के नाम से जाना जाता है। कमल के पौधों में उगने वाला फूल जितना लोकप्रिय होता है, उसके अन्य भाग भी उतने ही लोकप्रिय होते हैं। कमल के फूल के अलावा बीज और जड़ें भी बहुत पसंद की जाती हैं जिसमें इसके बीजों से प्राप्त मखाना सेहत को बेहतर बनाने में मदद करता है। कमल ककड़ी स्वाद में अच्छी और सेहत के लिए फायदेमंद मानी जाती हैं। कमल के फूल के बाद कमल के बीज बनते है, उन बीजों के झुण्ड को कमल गट्टा बोलते हैं। कमल गट्टा को लोग शौक से खाते हैं। कमल ककड़ी लगभग एक दो फीट लम्बी और लगभग एक इंच गोल होता है।
कमल ककड़ी में पाए जाने वाले पोषक तत्व ( Nutrients Found in Lotus Cucumber )
कमल ककड़ी के सेवन के फायदे ( Benefits of consuming lotus Cucumber )
कमल ककड़ी वजन को कंट्रोल करने में बहुत सहायक होती है।
अच्छी सेहत और बालों के लिए कमल ककड़ी खाना लाभदायक होता है।
कमल ककड़ी भोजन के साथ उपयोग तनाव को कम करने में मदद करता है।
कमल ककड़ी प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधर करती है।
कमल ककड़ी हमारे अंगों में ऑक्सीजन बढ़ाकर रक्त परिसंचरण को उत्तेजित करके ऊर्जा स्तर को बढ़ाती है।
कमल/कमल ककड़ी की खेती ( Lotus Cucumber Cultivation )
कमल के पौधे को फूलने के लिए धूप जरूरी है इसलिए टंकियों को ऐसी जगह लगाना चाहिए जहां धूप बहुत आती हो। पौधे लगाने का सबसे अच्छा समय मार्च से मई तक है। कमल ककड़ी के लिए कमल की खेती करनी होती है तब हमें कमल की जड़ ( कमल ककड़ी ) प्राप्त होती है। बीज से कमल का पौधा उगाने पर उसमें 5 से 6 महीने में फूल खिलते हैं जबकि कंद/जड़ से कमल उगाने पर पौधे में 2 से 3 महीने में ही फूल खिलने लगते हैं। अगर आप मार्च से अप्रैल के महीने में कमल लगाते हैं तो मई से जून तक आप कमल ककड़ी आनंद ले सकते हैं।
कमल की खेती में जलवायु एवं तापमान ( Climate and Temperature in Lotus Cultivation )
कमल का पौधा धीमे बहने वाले या रुके हुए पानी में उगता है। ये दलदली पौधा है जिसकी जड़ें कम ऑक्सीजन वाली मिट्टी में ही उग सकती हैं। कमल ककड़ी के बीज 20 डिग्री तापमान पर अच्छे से अंकुरित होते हैं। पौधे के विकास के लिए 25 से 30 डिग्री तापमान सबसे अच्छा होता है। कमल की खेती वैसे तो पानी में होती है लेकिन पानी के जड़ में यदि काली मिट्टी बिछाई जाये तो बीज के अंकुरण में आसानी हो जाती है और किसान ज्यादा फसल की पैदावार कर पाते हैं। कमल ककड़ी उथले तालाबों और दलदली भूमि में बहुतायत से होती है।
कमल की खेती में तालाब की तैयारी एवं बीज का रोपण ( Preparation of Pond and Seed Planting in Lotus Cultivation )
तालाब को पानी से भरने के बाद, गोल कंटेनरों का एक सेट चुनें और उनमें कुछ चट्टानें और कंकड़ रखें। इससे उन्हें पानी के नीचे तल पर रहने में मदद मिलेगी। चट्टानों के ऊपर मिट्टी या तालाब की मिट्टी डालें और मिट्टी को कटाव से बचाने के लिए रेत की एक परत डालें। फिर तालाब में बनायीं हुए पौध को लगा दें। इसकी खेती के लिए मानसून का महीना सबसे उपयुक्त माना जाता है।
कमल की उन्नत किस्में ( Improved Varieties of Lotus )
कमल के फूल के दो प्रकार होते हैं, कुमुदनी और उत्पल। उत्पल को नील कमल भी कहा जाता है। कमल की दोनों किस्में बहुत अच्छी है। वैसे कमल के फूल बहुत रंगों में उपलब्ध होते हैं जैसे लाल कमल, सफ़ेद कमल, पीला कमल, नीला कमल, गुलाबी कमल आदि। क्षेत्र के वातावरण के हिसाब से कमल की किस्मों का चुनाव करें। इसके लिए आप अपने क्षेत्र के नजदीकी अनुभवी किसान सलाहकार से संपर्क कर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
कमल के उपयोगी अंग
१) कमल का फूल ( Lotus Flower )
२) कमल के बीज ( कमल गट्टा )
३) कमल की जड़ ( कमल ककड़ी )
कमल की खेती में बीज का अंकुरण ( Seed Germination in Lotus Cultivation )
इसके बीजो को अंकुरित करने के लिए गुनगुने पानी में बीजो को डाल देते है तथा बीजो के अंकुरित होने तक प्रतिदिन पानी को बदलते रहना होता है|अंकुरित हुए बीजो को खास तरह की मिट्टी को बजरी या नदी की रेत पर लपेटना होता है, इसे पूरी तरह से नहीं ढकना होता है, धीरे-धीरे अंकुरित बीजो को मिट्टी के शीर्ष पर दबाया जाता है| इसके बाद आप जिस पॉट में इन्हे रखना चाहते है, उसे पानी से पूरा भरे दे, तथा कुछ दिनों के पश्चात् पौधों को पॉट से हटाकर तालाब में रखना होता है, फिर अच्छी तरह से एक मीटर तक पानी को भरना होता है| यदि तालाब में पहले से ही पानी भरा हुआ है, तालाब ज्यादा गहरा न हो|
कमल की खेती में देखरेख ( Maintenance in Lotus Cucumber Cultivation )
इसके पौधों का ठीक तरह से देखरेख करना भी जरूरी होता है, इसके लिए पौधों पर पीली पत्ती आये तो उस पत्ती को तुरंत तोड़ दें। पूरी तरह से तैयार पौधों की जड़े बेलनाकार और मजबूत हो जाती है, जिनको कमल ककड़ी कहते है|
कमल/कमल ककड़ी के उत्पादक राज्य ( Lotus/Lotus Cucumber Producing States )
कमल/कमल ककड़ी की खेती में लागत और कमाई ( Cost and Earning in Lotus Cucumber Cultivation )
आप शबला सेवा की मदद कैसे ले सकते हैं? ( How Can You Take Help of Shabla Seva? )
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