खरबूज का उपयोग, फायदा एवं खरबूज की खेती
खरबूज का वैज्ञानिक नाम कुकुमिस मेलो (Cucumis Melo) है। खरबूज कोहड़ा, तरबूज, कुकुरबिटेसी, (Cucurbitaceae), कुल से संबंधित है, जिसमें फल और सब्जी जैसे कद्दू, ककड़ी, लौकी शामिल हैं।खरबूजे की उत्पत्ति अफ्रीका में या दक्षिण पश्चिम एशिया की गर्म घाटियों में हुई, विशेष रूप से ईरान और भारत में, जहाँ से वे धीरे–धीरे यूरोप में पश्चिमी रोमन साम्राज्य के अंत की ओर दिखाई देने लगे। खरबूजे प्राचीन मिस्र के लोगों द्वारा उगाए जाने के लिए जाने जाते हैं। खरबूजा एक कद्दूवर्गीय फसल है, जिसे नगदी फसल के रूप में उगाया जाता है। इसके फलो को विशेष रूप से खाने के लिए इस्तेमाल करते है, जो स्वाद में अधिक स्वादिष्ट होता है। खरबूज गर्मियों में पानी से भरपूर फलों में से एक होता है। यह फल हल्के पीले रंग से लेकर नारंगी रंग के होते हैं । मूल रूप से तरबूज एक लंबी बेल पर लगता है। इस फल की आकृति गोल या आयताकार होती है इसके अंदर के बीज सफेद रंग के होते हैं। ख़रबूज़ा एक फल है। यह पकने पर हरे से पीले रंग के हो जाते है, हलांकि यह कई रंगों मे उपलब्ध है। मूल रूप से इसके फल लम्बी लताओं में लगते हैं।
खरबूज में पाए जाने वाले पोषक तत्व (Nutrients found in Melon)
खरबूज में 96% पानी के साथ–साथ विटामिन (Vitamin) A, विटामिन B-6, विटामिन C, शर्करा (Sugar), ऊर्जा, कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrates), फैट (Fat), कोलेस्ट्रोल (Cholesterol), डाइटरी फाइबर (Dietary fiber), कैल्शियम (Calcium), कॉपर (Copper), मैग्नीशियम (Magnesium), जिंक (Zink), खनिज लवण, क्षारीय तत्व, प्रोटीन (Protein), मिनरल्स (Minerals), फाइबर (Fiber) और फोलिक एसिड (Phallic acid) जैसे खनिजों का भी एक स्त्रोत है।
खरबूज के सेवन के स्वास्थ्वर्धक फायदे (Health benefits of consuming Melon)
खरबूज वजन घटाने में सहायक होता है।
खरबूज के सेवन कैंसर जैसी बीमारी को आसानी से रोकता है।
अपने ह्रदय को स्वस्थ रखने के लिए खरबूज की सहायता लेनी चाहिए।
खरबूज उच्च रक्तचाप को रोकता है।
खरबूज आँखों के लिए बहुत लाभदायक होता है।
खरबूज हमारे पेट के लिए बहुत लाभदायक होता है।
खरबूज खाने से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
खरबूज के प्रयोग से बालों के झड़ने को रोका जा सकता है।
इसके सेवन से कई प्रकार की ह्रदय संबंधी बिमारियों को दूर रखा जा सकता है।
यह हाइपर टेंशन को भी कम करने में मदद करता है।
यह कोलोरेक्टल कैंसर के खतरे को भी कम करता है।
खरबूज की खेती (Melon Cultivation)
मूल रूप से इसके फल लम्बी लताओं में लगते हैं। खरबूज वार्षिक, गर्म समय वाला पौधा है।
खरबूज की खेती के लिए मिटटी, तापमान एवं जलवायु (Soil, Temperature and Climate for Melon Cultivation)
इसकी खेती विभिन्न प्रकार की भूमि में की जा सकती है परन्तु सर्वोत्तम फसल के लिए बलुई दोमट एवम मरुस्थलीय खेतो की रेतीली मिटटी उपयुक्त रहती है। खरबूज गर्म और शुष्क जलवायु का पौधा है। बुवाई एवम प्रारम्भिक बढ़वार की अवस्था में 20 – 24 डिग्री सेलसियस तथा पदम् वृद्धि एवम उपज के लिए 30 – 35 डिग्री सेलसियस तापमान उत्तम रहता है। जहा तापमान 42 – 45 डिग्री सेल्सियस तक जाता है, वह भी उत्तम गुणवता युक्त खरबूजे की पैदावार संभव है।
खरबूज की खेती की तैयारी एवं बुवाई का समय (Preparation and sowing time for Melon Cultivation)
खरबूज के ग्रीष्म कालीन व्यवष्तिठा फसल उत्पादन के लिए खेत को दिसम्बर–जनवरी माह में गहरी जुताई करके खली छोड़ देना चाहिए, जिससे सर्द ऋतू में होने वाली मावठ का पानी खेत में संग्रहित हो सके। फरवरी के महीने में खेत की २ बार जुताई कर के पाता लगा देना चाहिए। अंतिम जुताई के समय 200 – 250 क्विंटल प्रति हैक्टर (10000 स्क्वायरमीटर) गोबर की सड़ी हुई खाद पुरे खेत में मिलाये। फसल को दीमक व अन्य भूमिगत कीड़ो से बचने के लिए मेथाइल पैराथीओन (2% – 20 मिलीलीटर प्रति 1 लीटर) या एण्डोसल्फान (4% – 40 मिलीलीटर प्रति 1 लीटर) दवा का प्रति हैक्टर 25 किलो पाउडर प्रति हैक्टर अंतिम जुताई के समय, पता लगाने से पहले खेत में भुरक देना चाहिए। खरबूज की खेती मुख्यतया क्यारी या नाली विधि से की जाती है। वैज्ञानिक दांग से खरबूज की खेती के लिए नाली विधि को सर्वोत्तम मन गया है। इसके लिए तैयार खेत में 2 मीटर दुरी पर 1/2 मीटर चौड़ी नालिया बनानी चाहिए। इन नालियो में बीज 1.5 फ़ीट दुरी पर बीजो की बुवाई करनी चाहिए।
खरबूज की उन्नत किस्में (Improved varieties of Melon)
खरबूज की उन्नत किस्मों में पूसा रसराज, पूसा शरबती, पूसा मधुरस, हरा मधु, दुर्गापुरा मधु, पंजाब सुनहरी, पंजाब हाइब्रिड 1, हाइब्रिड स्वर्ण, अर्का राजहंस, अर्का जीत, लखनऊ सफेदा और हिसार सरस जैसी प्रसिद्ध किस्में आती हैं।
खरबूज की खेती में बीज की मात्रा एवं बीज उपचार (Seed quantity and seed treatment in Melon Cultivation)
खरबूज की खेती में बीज की मात्रा 1 किलो प्रति हैक्टर है। एक स्थान पर 2 – 3 बीज की बुवाई करनी चाहिए। बुवाई के 20 दिनों बाद ख़राब पोधो को उखाड़ देना चाहिए।
खरबूज की खेती में सिंचाई और उर्वरक प्रबंधन (Irrigation and Fertilizer Management in Melon Cultivation)
फल जमाव होने तक 6 दिनों के अंतराल पर सिचाई करना आवश्यक है। सिंचाई रोपाई का काम सुबह या शाम कियाजाना चाहिए और आधा घंटा टपकन सिंचाई चालू रखे । पहले 6 दिन मृदा अथवा जलवायु के अनुसार सिंचाई करें (प्रत्येक दिन 10 मिनट), शेष सिंचाई प्रबंधन फसल वृद्धि और विकास के अनुसार करें। तरबूज फसल पानी की जरूरत के प्रति बहुत संवेदनशील होती है।
खरबूज की खेती भारत में किन किन राज्यों में होती है (In which states of India melon is cultivated)
तरबूज जायद मौसम की मुख्य फसल मानी जाती है, जिसकी खेती मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश प्रदेश शामिल है। भारत में खरबूजा उगाने वाली सब्जियों में पंजाब, तामिलनाडू और महांराष्ट्र भी शामिल है।
खरबूज की खेती में लागत एवं कमाई (Cost and Earning in Melon Cultivation)
एक एकड़ में इसकी खेती में करीब 1 लाख रुपये तक का खर्च आता है। खरबूज की अधिकांश किस्में अपनी पूर्ण परिपक्वता तक पहुँचती हैं और रोपाई के 78 से 90 दिनों के बाद कटाई के लिए तैयार हो जाती हैं। इसकी औसतन पैदावार 60 क्विंटल प्रति एकड़ होता है।
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