प्याज का उपयोग, फायदा एवं प्याज की खेती

kisan-credit-card

प्याजऐमारलीडेसी (Amaryllidaceae)परिवार का सदस्य है। इसका वैज्ञानिक नाम एलियस सेपा(alius cepa) है। अंग्रेजी में इसे ओनियन कहा जाता है। पूरे संसार में इसकी मांग है। मूल रूप से प्याज को सब्जी माना गया है। इसे सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि विश्वभर में चाव से खाया जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम एलियम सेपा (Allium Cepa) है। इसे विभिन्न भाषाओं में अलगअलग नाम से बुलाया जाता है। हिंदी में इसे प्याज के साथसाथ कांदा और डुंगरी भी कहा जाता है, वहीं, तेलुगू में उल्लिपायालु/येरा गद्दालु/निरुल्ली, तमिल में वैंगयम, मलयायलम में सवाना, कन्नड़ में उल्लिगड्डे/एरुल्ली/नीरुली, बंगाली में पिंयाज, गुजराती में डुंगरी/कांदा और मराठी में कंडा कहा जाता है। प्याज के पौधे में नीले हरे रंग के पत्ते होते हैं। प्याज़ वनस्पति है जिसका कन्द सब्ज़ी के रूप में प्रयोग किया जाता है। 

प्याज में पाए जाने वाले पोषक तत्व ( Nutrients found in onion )

प्याज सेहत और खूबसूरती का खजाना है। सोडियम (Sodium), पोटेशियम (Potassium), फोलेट्स (Folate), विटामिन (Vitamin) A, विटामिन C, विटामिन E, कैल्शियम (Calcium), मैग्नीशियम (Magnesium) और फास्फोरस (Phosphorus), ये वे कुछ पोषक तत्व हैं जो प्याज में पाए जाते हैं। प्याज में एंटीइंफ्लेमेट्री (Anti-Inflammatory) गुण पाया जाता है।

प्याज का उपयोग एवं प्याज के स्वास्थवर्धक लाभ ( Use of onion and Health Benefits of onion )

  1.   प्याज नसों में आई सूजन और रक्तचाप को नियंत्रित कर सकता है।
  2.   यह किसी गंभीर बीमारी को ठीक नहीं कर सकता। यह बीमारी की अवस्था में सिर्फ लक्षणों को कम          करने उससे उबरने में मदद कर सकता है।
  3.   प्याज से निकलने वाला तेल भी गुणकारी होता है।  
  4.   पाचन तंत्र को बेहतर बनाने में मदद करता है, वहीं कॉपर मस्तिष्क के विकास के लिए अच्छा होता है।
  5.   प्याज का रस रक्त शर्करा को नियंत्रित करता है।
  6.   मधुमेह जैसी समस्या से बचने के लिए प्रतिदिन सीमित मात्रा में प्याज का सेवन किया जाता है।
  7.   प्याज में स्तन पेट के कैंसर का कारण बनने वाली कोशिकाओं को पनपने से रोकने की क्षमता है।
  8.   प्याज का सेवन करने से मुंह के कैंसर से भी बचा जा सकता है।
  9.   यह आंतों में अच्छे बैक्टीरिया को पनपने में मदद करता है, ताकि आंत ठीक से काम कर सके।
  10. दस्त जैसी समस्या में भी लाभदायक साबित होता है।
  11. कब्ज को दूर करने में मदद करता हैं।
  12. प्याज में पाया जाने वाला क्वेरसेटिन गुण ह्रदय के लिए भी अच्छा है।
  13. मोटे लोगों में खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है।
  14. प्याज खून में प्लेटलेट्स को एकदूसरे से चिपकने से रोकता है।
  15. प्याज उच्च रक्तचाप को भी नियंत्रित करता है।
  16. जो महिलाएं प्रतिदिन प्याज खाती हैं, उनकी हड्डियां प्याज खाने वाली महिलाओं की तुलना में पांच          प्रतिशत अधिक मजबूत होती हैं। साथ ही 50 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं के प्याज खाने से                हड्डियों पर सकारात्मक असर पड़ता है।
  17. प्याज खाने से जोड़ों के दर्द से भी राहत मिलती है।
  18. सूजन को कम करने में मदद कर सकता है।
  19. एलर्जी से लड़ने में आपकी मदद कर सकता है।
  20. आप रात के समय कच्चा प्याज खाते हैं, तो उसमें मौजूद सल्फर नामक यौगिक बलगम को बाहर               निकालने में मदद कर सकता है।
  21. इसके रस का सेवन करने से दांतों को खराब करने वाले और एलर्जी का कारण बनने वाले                        स्ट्रेप्टोकोकस म्यूटंस स्ट्रेप्टोकोकस सोब्रिनस बैक्टीरिया के प्रभाव को कम कर सकता है।
  22. प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर कर सकता है।विटामिनसी प्रतिरक्षा प्रणाली में मौजूद फ्री रेडिकल्स को          खत्म करता है और विषाक्त पदार्थों को साफ करता है।
  23. कच्चा प्याज मुंह के स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है।
  24. दांतों को सड़ाने वाले बैक्टीरिया को खत्म करता हैं।
  25. प्याज को गर्म करके उसका रस निकाला जाता है और प्रभावित कान में डाला जाता है।
  26. प्याज खाने के फायदे में आंखों की रोशनी बढ़ाना भी है।
  27. यौन क्षमता बढ़ाने के लिए भी किया जाता है।
  28. इसके प्रयोग से बुखार से काफी हद तक राहत मिलती है।
  29. अस्थमा जैसी समस्याओं के लिए ठीक होता है।
  30. प्याज के फायदे में श्वासनली का बेहतर तरीके से काम करना भी है।
  31. अच्छी नींद लाने और तनाव को दूर करने में मदद करता हैं।
  32. प्याज में रुटीन नामक तत्व होता है, जो शरीर में रक्त के थक्के बनने नहीं देता।
  33. हैजा होने पर प्याज का उपयोग घरेलू उपचार के तौर पर किया जा सकता है।
  34. पाचन की प्रक्रिया को धीरे करता है। इससे शरीर में ऊर्जा बनी रहती है।
  35. उम्र बढ़ने के साथ याददाश्त को कमजोर होने से बचाता है।
  36. प्याज में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट एंटीइंफ्लेमेटरी गुण ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस के असर को कम कर सकते        हैं।
  37. प्याज सिर्फ किडनी से पथरी को बाहर निकालता है, बल्कि पेट को भी साफ करता है। पथरी को            बाहर निकालने के लिए प्याज के रस में चीनी घोलकर पी सकते हैं।

प्याज की खेती ( Onion Cultivation )

प्याज की खेती 5 हजार वर्षो और इससे अधिक समय से होती आयी है। चूँकि प्याज में गंधक युक्त यौगिक पाये जाते हैं इसी वजह से प्याज में गंध और तीखापन होता है। भारत में महाराष्ट्र में प्याज़ की खेती सबसे ज्यादा होती है। यहाँ साल मे दो बार प्याज़ की फ़सल होती है – एक नवम्बर में और दूसरी मई के महीने के क़रीब होती है।

प्याज की खेती के लिए मिटटी, तापमान एवं जलवायु ( Soil, Temperature and Climate for Onion Cultivation )

प्याज की बागवानी हेतु भूमि का चयन भी आवश्यक है क्योंकि कंद का विकास भूमि की संरचना पर भी निर्भर करती है। इसके लिए 50-80 सेंटीमीटर बारिश की आवश्यकता होती है। हल्के गर्म मौसम में इसकी अच्छी उपज प्राप्त की जा सकती है। प्याज की फसल 13-24 डिग्री सेल्सियस की तापमान में अच्छी तरह से पनपती है। बीज अंकुरण के लिए 20-30° सेंटीग्रेड का तापमान बेहतर होता है।जीवांशयुक्त हल्की दोमट मिट्टी सबसे अच्छी है। अधिक अम्लीय मिट्टी सर्वथा अनुपयुक्त है।

प्याज की खेती की तैयारी एवं बुवाई का समय ( Preparation and Sowing time for Onion Cultivation )

जमीन की जुताई अच्छी के साथसाथ खाद एवं उर्वरक जुताई के समय डालकर अच्छी तरह मिला दिया जाय। मिलाने के बाद पाटा देना चाहिए। इससे खेत की नमी सुरक्षित रहती है तथा खाद को मिट्टी में मिलाने में आसानी होती है। भूमि की तैयारी के साथ पौधशाला की भी तैयारी उतनी ही आवश्यक है। पौधशाला की तैयारी में ख़ास ध्यान देकर उसे खरपतवार से मुक्त कर मिट्टी को भुरभुरी बनाये। पौधशाला में जल जमाव नहीं हो इसका विशेष ध्यान दें। पौधशाला को छोटी क्यारियों में बाँट दें। प्याज की बुवाई आमतौर पर नवंबर के अंतिम सप्ताह में की जाती है। बुवाई नर्सरी में की जाती है। एक हैक्टेयर खेत के लिए पौध तैयार करने के लिए 1000 से 1200 वर्ग मीटर में बुवाई की जानी चाहिए। एक हैक्टेयर खेत के लिए 8 से 10 किलो बीज की जरूरत होती है।

प्याज की बुआई तीन प्रकार से की जाती है:

1) सीधे बीज डालकर: इसे बलुआही मिट्टी में उपयोग करते हैं। इस विधि में मिट्टी को अच्छे ढंग से तैयार कर बीज खेत में छोड़ देते हैं। इस विधि में बीज की मात्रा 7-8 किलो प्रति हें. लगाते हैं।

2) गांठों से प्याज लगाना: छोटे प्याज के गांठों को अप्रैलमई में लगायी जाती है। प्याज की 12-14 क्विंटल प्रति हें. गाँठ लगते हैं।

3) बीज से पौध तैयार कर खेत में लगाना: यह प्रचलित विधि है जिसके द्वारा प्याज की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है।

प्याज की उन्नत किस्में ( Improved Varieties of Onions )

एग्रीफाउंड डार्क रेड ( Agrifound Dark Red ), एग्रीफाउंड लाइट रेड ( Agrifound Light Red ), एनएचआरडीएफ रेड ( NHRDF Red ), एग्रीफाउंड व्हाइट ( Agrifound White ), एग्रीफाउंड रोज ( Agrifound Rose ) और एग्रीफाउंड रेड ( Agrifound Red ), पूसा रतनार ( Pusa Ratnar ), पूसा रेड ( Pusa Red ) और पूसा व्हाइट राउंड ( Pusa White Round )

प्याज की खेती में बीज की मात्रा एवं बीजोपचार ( Seed quantity and Seed treatment in onion Cultivation )

एक हैक्टेयर खेत के लिए 8 से 10 किलो बीज की जरूरत होती है। खरीफ प्याज के गलन नियंत्रण हेतु बीजोपचार डाईथेन एम 45 ( Dithane M 45 ), 2 ग्राम या थाइरम 2 ग्राम प्रति किग्रा बीज की दर से उपचार करें रबी की फसल के लिये बीज मध्य अक्टूबर से लेकर मध्य नवम्बर तक बोयें। खरीफ प्याज की खेती के लिये छोटे कन्द बनाने के लिये बीज को जनवरी के अन्तिम सप्ताह में या फरवरी के प्रथम सप्ताह में बोयें

प्याज की खेती में सिंचाई एवं खाद उर्वरक ( Irrigation and Manure Fertilizer in Onion Cultivation )

प्याज एक ऐसी फसल है जिसमें बिचड़े की रोपनी के बाद यानि जब पौधे स्थिर हो जाते हैं तब इसमें निकौनी एवं सिंचाई की आवश्यकता पड़ती रहती है। इस फसल में अधिक सिंचाई की आवश्यकता होती है। इसकी जड़ें 15-20 सेंटीमीटर सतह पफ फैलती है।  इसमें पाँच दिनों के अंतराल पर सिंचाई चाहिए।  इस फसल में 12-14 सिंचाई देना चाहिए। अधिक गहरी सिंचाई हानिकारक है।  पानी की कमी से खेतों में दरार बन पाये। आरम्भ में 10-12 दिनों के अंतर पर सिंचाई करें। पुन: गर्मी आने पर 5-7 दिनों पर सिंचाई करनी चाहिए। हर दोतीन सिंचाई के साथ घासपात की निकासी आवश्यक है। इससे पौधों को उचित मात्रा में पोषक तत्व एवं प्रकाश मिलता रहता है। खरपतवार के नियंत्रण के लिए खरपतवारनाशी टोक 25 का छिड़काव 5 लीटर/हेक्टेयर की दर से करना चाहिए।

प्याज की खेती किन किन राज्यों में होती है ( In Which states onion is Cultivated )

हमारे देश में प्रतिवर्ष 22  मिलियन टन प्याज का उत्पादन होता है जिसमें महाराष्ट्र, गजरत, मध्यप्रदेश, कर्नाटक एवं बिहार प्रमुख उत्पादक राज्य हैं।

प्याज की खेती में लागत एवं कमाई ( Cost and Earning in onion Cultivation )

प्याज की खेती में नर्सरी लगाने से लेकर उसकी रोपाई, सिंचाई, निराईगुड़ाई, दवाई, उर्वरक, ट्रांसपोर्टेशन आदि का खर्च प्रति हेक्टेयर लगभग 2 से 2.5 लाख रुपये आता है। वहीं एक हेक्टेयर से प्याज की करीब 300 क्विंटल पैदावार होगी जो अगर महज 20-100 रुपये किलो के भाव से भी बिकती है तो आपकी करीब 6 लाख  – 20 लाख रुपये की आमदनी होगी।

आप शबला सेवा की मदद कैसे ले सकते हैं? ( How can you take help of Shabla Seva? )

  1. आप हमारी विशेषज्ञ टीम से खेती के बारे में सभी प्रकार की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
  2. हमारे संस्थान के माध्यम से आप बोने के लिए उन्नत किस्म के बीज प्राप्त कर सकते हैं।
  3. आप हमसे टेलीफोन या सोशल मीडिया के माध्यम से भी जानकारी और सुझाव ले सकते हैं।
  4. फसल को कब और कितनी मात्रा में खाद, पानी देना चाहिए, इसकी भी जानकारी ले सकते हैं।
  5. बुवाई से लेकर कटाई तक, किसी भी प्रकार की समस्या उत्पन्न होने पर आप हमारी मदद ले सकते हैं।
  6. फसल कटने के बाद आप फसल को बाजार में बेचने में भी हमारी मदद ले सकते हैं।

संपर्क

अधिक जानकारी के लिए हमसे संपर्क करें +91 9335045599 ( शबला सेवा )

आप नीचे व्हाट्सएप्प (WhatsApp) पर क्लिक करके हमे अपना सन्देश भेज सकते है।

Become our Distributor Today!

Get engaged as our distributor of our high quality natural agricultural products & increase your profits.

Translate »

Pin It on Pinterest

Share This