पपीता का उपयोग, फायदा एवं पपीता की खेती

kisan-credit-card

पपीता सबसे छोटा फलदार वृक्ष है, इसलिए इसे लगाना कोई भी पसंद करता है, पपीता न केवल फल उगाना आसान है, बल्कि यह एक त्वरित फल भी है, यह स्वास्थ्यवर्धक और सेहत के लिए फायदेमंद होता है, इसलिए इसे अमृत घाट भी कहा जाता है, पपीते में पाचक एंजाइम भी पाए जाते हैं और इसके ताजे फल का सेवन करने से पुरानी कब्ज को भी दूर किया जा सकता है। पपीते का उपयोग हम फल और सब्जी के रूप में करते हैं।

पपीता में पाए जाने वाले पोषक तत्व (Nutrients Found in Papaya)

पपीते में विटामिन (Vitamin) A, विटामिन C, नियासिन (Niyasin), मैग्नीशियम (Magnesium), कैरोटीन (Carotene), फाइबर (Fiber), पोटेशियम (Potassium), कॉपर (Copper), कैल्शियम (Calcium), एंटीऑक्सीडेंट (Antioxidant) जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं।

पपीते के स्वास्थ्यवर्धक फायदे (Health Benefits of Papaya)

पपीते के फायदे आयुर्वेद में औषधि के रूप में उपयोग किए जाते हैं। पपीता एक ऐसा फल है, जिसे कच्चा और पका दोनों रूप में खाया जा सकता है, और इसके पत्तों का उपयोग आयुर्वेदिक उपचार के लिए किया जाता है।

1. पपीता हृदय रोग के खतरे को कम करता है। साथ ही स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए भी पपीते का सेवन फायदेमंद होता है।

2. पपीता कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में मदद करता है।

3. पपीता आंखों की रोशनी बढ़ाने में मदद करता है।

4. पपीता कैंसर के खतरे को कम करने के साथ-साथ कैंसर से लड़ने में भी मदद करता है।

5. पपीता  इम्यून सिस्टम को मजबूत करने का काम करते हैं।

6. पपीता भूख और ताकत बढ़ाता है, और यह तिल्ली, यकृत रोग से मुक्त रखता है, साथ ही पीलिया जैसे रोगों से राहत देता है।

पपीता की खेती (Papaya Cultivation)

पपीता की खेती के लिए 10 – 40 डिग्री सेल्शियस तापमान सबसे सही होता है। जल निकास युक्त दोमट मीट्टी पपीते की खेती के लीये उत्तम रहती है। भूमि की गहराई 45 सेमी से कम नही होनी चाहिए। 

पपीता की उन्नत किस्में (Improved Varieties of Papaya)

फल उत्पादन के लिए ताइवान , रेड लेडी -786, हानिड्यू (मधु बिंदु) , कुर्ग हनीड्यू, वाशिंगटन, कोयंबटूर -1 , पंजाब स्वीट , पूसा डिलीशियस ,पूसा जाइंट , पूसा ड्वार्फ, पूसा नन्हा, सूर्या, पंत पपीता आदि। 

पपीता एक ऐसी फसल है, जिसे गमलों में भी लगा सकते हैं, लेकिन इसके लिए खास किस्मों को ही लगाना चाहिए। गमलों में लगाने के लिए पूसा नन्हा, पूसा ड्वार्फ आदि का चुनाव करना चाहिए। 

हरे और कच्चे पपीते के फलों से सफेद रस या दूध निकालकर सुखाए गए पदार्थ को पपेन कहते हैं। इसका उपयोग मुख्य रूप से मांस को मुलायम करने, प्रोटीन के पचाने, पेय पदार्थों को साफ करने, च्विंगम बनाने, पेपर कारखाने में, दवाओं के निर्माण में, सौन्दर्य प्रसाधन के सामान बनाने आदि के लिए किया जाता है। पपेन उत्पादन किस्मों के लिए पूसा मैजेस्टी , CO. -5, CO. -2 जैसी किस्मों को लगा सकते हैं। 

पपीते की खेती के लिए जलवायु  (Climate for Papaya Cultivation)

पपीता उष्ण एवं शीतोष्ण कटिबन्धीय क्षेत्रों का प्रमुख फल है। पपीते की अच्छी खेती गर्म नमी युक्त जलवायु में की जा सकती है। इसे अधिकतम 38 डिग्री सेल्सियस 44 डिग्री सेल्सियस तक तापमान होने पर उगाया जा सकता है, न्यूनतम 5 डिग्री सेल्सियस से कम नही होना चाहिए लू तथा पाले से पपीते को बहुत नुकसान होता है। पपीता बहुत ही जल्दी बढऩे वाला पेड़ है। यदि भूमि उपजाऊ हो और जल निकासी अच्छी हो तो पपीते की खेती अच्छी होती है, पपीते को कभी भी पानी से भरे खेत में नहीं लगाना चाहिए। क्योंकि जलजमाव के कारण पौधे में कॉलर रॉट रोग होने की संभावना होती है, पपीते की खेती गहरी मिट्टी में भी नहीं करनी चाहिए।

बीजोपचार और पौधरोपड़ (Seed Treatment and Plantation)

एक हैक्टर क्षेत्रफल के लिए 500 -600 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है। बोने से पूर्व बीज को 3 ग्राम केप्टान प्रति किलो ग्राम. बीज के हिसाब से उपचारित कर लेना चाहिए। 45 X 45 X 45 सेमी आकर के गड्ढ़े 1.5 X 1.5 या 2 X 2 मीटर की दुरी दूरी पर तैयार करें। प्रति गड्ढे 10 किग्रा सड़ी हुई गोबर की खाद, 500 ग्राम जिप्सम, 50 ग्राम क्यूनालफास 1.5 % चूर्ण भर देना चाहिए। 

पपीता की बुआई (Papaya Sowing)

बीज बोने का समय जुलाई से सितम्बर और फरवरी-मार्च होता है। बीज अच्छी किस्म के अच्छे व स्वस्थ फलों से लेने चाहिए। चूंकि यह नई किस्म संकर प्रजाति की है, लिहाजा हर बार इसका नया बीज ही बोना चाहिए। बीजों को क्यारियों, लकड़ी के बक्सों, मिट्‌टी के गमलों व पॉलीथीन की थैलियों में बोया जा सकता है। क्यारियां जमीन की सतह से 15 सेंटीमीटर ऊंची व 1 मीटर चौड़ी होनी चाहिए। क्यारियों में गोबर की खाद, कंपोस्ट या वर्मी कंपोस्ट काफी मात्रा में मिलाना चाहिए। पौधे को पद विगलन रोग से बचाने के लिए क्यारियों को फार्मलीन के 1:40 के घोल से उपचारित कर लेना चाहिए और बीजों को 0.1 फीसदी कॉपर आक्सीक्लोराइड के घोल से उपचारित करके बोना चाहिए। जब पौधे 8-10 सेंटीमीटर लंबे हो जाएं, तो उन्हें क्यारी से पौलीथीन में स्थानांतरित कर देते हैं। जब पौधे 15 सेंटीमीटर ऊंचे हो जाएं, तब 0.3 फीसदी फफूंदीनाशक घोल का छिड़काव कर देना चाहिए। 

सिंचाई (Irrigation)

पौधा लगाने के तुरन्त बाद सिंचाई करें ध्यान रहे पौधे के तने के पास पानी न भरने पाए। गर्मियों में 5-7 दिन के अंतराल पर और सर्दियों में 10 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें। 

किन राज्यों में पपीते की खेती की जाती है ( In Which States Papaya Cultivated)

पपीते की खेती देश के विभिन्न राज्यों जैसे, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, बिहार, असम, महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, जम्मू और कश्मीर, उत्तरांचल और मिजोरम में की जाती है।

पपीते की खेती में लागत और कमाई (Cost and Earning in Papaya Cultivation)

पपीते की फसल 260 से 290 दिनों में तैयार हो जाती है। पपीते की खेती में किसानों को कम लागत में अधिक लाभ मिलता है। इसकी खेती पर एक लाख रुपये प्रति हेक्टेयर का खर्च आता है। कमाई की बात करें तो किसानों को प्रति हेक्टेयर 12 से 13 लाख रुपये का शुद्ध लाभ मिलता है।

आप शबला सेवा की मदद कैसे ले सकते हैं? ( How can you take help of Shabla Seva? )

  1. आप हमारी विशेषज्ञ टीम से खेती के बारे में सभी प्रकार की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
  2. हमारे संस्थान के माध्यम से आप बोने के लिए उन्नत किस्म के बीज प्राप्त कर सकते हैं।
  3. आप हमसे टेलीफोन या सोशल मीडिया के माध्यम से भी जानकारी और सुझाव ले सकते हैं।
  4. फसल को कब और कितनी मात्रा में खाद, पानी देना चाहिए, इसकी भी जानकारी ले सकते हैं।
  5. बुवाई से लेकर कटाई तक, किसी भी प्रकार की समस्या उत्पन्न होने पर आप हमारी मदद ले सकते हैं।
  6. फसल कटने के बाद आप फसल को बाजार में बेचने में भी हमारी मदद ले सकते हैं।

संपर्क

अधिक जानकारी के लिए हमसे संपर्क करें +91 9335045599 ( शबला सेवा )

आप नीचे व्हाट्सएप्प (WhatsApp) पर क्लिक करके हमे अपना सन्देश भेज सकते है।

Become our Distributor Today!

Get engaged as our distributor of our high quality natural agricultural products & increase your profits.

Translate »

Pin It on Pinterest

Share This