कृष्णा फल का उपयोग, फायदा एवं कृष्णा फल की खेती

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कृष्णा फल (Passion Fruit)  का नाम शायद किसी ने सुना होगा या फिर इस फल की जानकारी बहुत कम लोगों में होगी। कृष्णा फल दिखने में पीले या बैंगनी रंग का होता है, यह एक ब्राजीलियन फल है, जो पैसिफ्लोरेसी (Passifloraceae) परिवार का है, जिसे भारत में कृष्णा फल के नाम से जाना जाता है। ब्राजील के अलावा, यह दक्षिण अमेरिका, कैरिबियन, दक्षिण फ्लोरिडा, दक्षिण अफ्रीका और एशिया में भी इसकी खेती की जाती है। इस फल की विभिन्न प्रजातियां होती हैं, जिसमें से पीला और बैंगनी रंग का फल ज्यादातर पाया जाता है। यह फल का शेप गोल या अंडाकार होता है। अंग्रेजी में इस फल का नाम पैशन फ्रूट है। स्वास्थ्य के लिए यह फल बहुत लाभदायक होता है। इसमें एक नरम गूदा होता है जिसमें कठोर छिलके के अंदर बहुत सारे खाने योग्य बीज होते हैं। यह एक बहुपयोगी फल है जो किसी भी चीज में डालने से उसका स्वाद बढ़ जाता है।

कृष्णा फल पाये जानेवाले खनिज ( Minerals Found in Passion Fruit )

कृष्णा फल में विटामिन (Vitamin) A, विटामिन B, एंटीऑक्सिडेंट (Antioxidants), फाइबर (Fiber), पोटैशियम (Potassium) के साथ कई पोषक तत्व  होते हैं।

कृष्णा फल के स्वास्थ्यवर्धक फायदे ( Health Benefits Of Passion Fruit )

  1. कृष्णा फल में एक स्वस्थ पोषण प्रोफाइल होता है, जो इसे खाने के लिए एक फायदेमंद फल बनाता है।      यह प्रतिरक्षा प्रणाली, दृष्टि और त्वचा को सहायता करता है।
  2. कृष्णा फल खट्टे स्वाद के साथ खट्टा मीठा होता है। यह आपके शरीर को हानिकारक मुक्त कणों से            छुटकारा दिलाने में मदद करता है। एंटीऑक्सिडेंट आपके शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली के कामकाज के      लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे शरीर को बीमारियों से मुक्त रखने में मदद करते हैं।
  3. रक्त प्रवाह को सामान्य करता है।
  4. यह पाचन तंत्र को ठीक से काम करने में मदद करता है और आंत के स्वास्थ्य को बरकरार रखने के          लिए जिम्मेदार होता है।
  5. कृष्णा फल कोलेस्ट्रॉल को कम कर दिल की सेहत बढ़ाने में भी फायदेमंद होता है।

कृष्णा फल की खेती ( Passion Fruit Cultivation )

पैशन फ्रूट ( Passion Fruit ) को भारत में कृष्ण कमल और कृष्णा फल के नाम से भी जाना जाता है। मूल रूप से एक अमेरिकन फल है, जो मुख्य रूप से उष्ण कटिबंधीय तथा उप- उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है। कृष्णा फल के स्वाद की बात करे, तो यह स्वाद में खट्टा होता है, परन्तु स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभकारी माना जाता है | जिसके कारण भारतीय बाजार में इसकी मांग बढ़नें लगी है | यहाँ तक कि कृष्णा फल की खेती भारत के दक्षिणी राज्यों में की जा रही है |  दुनियाभर में कृष्णा फल की लगभग 500 से अधिक प्रजातियाँ पाई जाती है, जिसमें से पीले और बैंगनी रंग के पैशन फ्रूट का उत्पादन सबसे अधिक मात्रा में किया जाता है | भारतीय बाजार में यह फल लगभग 300 से 350 रुपये प्रति किलो के हिसाब से मिलता है।

1.कृष्णा फल खेती के लिए उपयुक्त जलवायु मिट्टी व तापमान (Suitable climate, soil and temperature for Passion fruit farming)

 कृष्णा फल  की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी की बात करें तो, इसे हर प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है। लेकिन हल्की से लेकर भारी रेतीली दोमट मिट्टी तथा मध्यम दोमट मिट्टी को सबसे उपयुक्त माना जाता है। ऐसी मिट्टी जिसका पी.एच. (ph) 6.5 से 7.5 हो कृष्णा फल की खेती के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। बहुत अधिक अम्लीय मिट्टी होने पर चुना डालकर मिट्टी की अम्लीयता को कम किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त मिट्टी में पर्याप्त कार्बनिक पदार्थ होने चाहिए तथा लवण की मात्र कम होनी चाहिए। कृष्णा फल की खेती उप- उष्णकटिबंधीय क्षेत्र के साथ ही ठंडे व ऊचाई वाले क्षेत्र तथा पहाड़ी क्षेत्रों में भी की जा सकती है। कृष्णा फल में फूल तथा फल सैट होने के लिए 18°C से 23°C तापमान अनुकूल माना जाता है। जबकि अपेक्षाकृत उच्च तापमान फल में रस की मात्रा तथा गुणवत्ता के निर्धारण के लिए आवश्यक होता है। 

2.कृष्णा फल के पौध लगाने के लिए खेत की तैयारी एवं की दूरी (Field preparation and distance for planting Krishna fruit seedlings)

पौध रोपण से पूर्व खेतों की गहरी जुताई के साथ ही जैविक खाद एवं आवश्यक उर्वरकों को खेत में मिलाकर खेतों को तैयार कर लेना चाहिए। खेतों में उर्वरकों के प्रयोग से पूर्व मिट्टी की जाँच जरूर करा लेनी चाहिए। इसके बाद ही आवश्यकता के अनुसार उर्वरकों एवं सुक्ष्म पोषक तत्वों को खेत में डालना उचित रहता है। चुंकि कृष्णा फल एक बेल वाला पौधा होता है इस लिए पंक्ति सं पंक्ति की दूरी 3 मीटर तथा पौधे से पौधे की दूरी 2 मीटर रखना उपयुक्त होता है। पौधे की रोपाई के लिए 45X45X45 से.मी. का गड्डा खेदकर पौधे की रोपाई की जानी चाहिए। रोपाई करते वक्त खाद को मिट्टी के साथ मिलाकर पौधे को रोपना अच्छा रहता है।

3.पौधे लगाने का समय (Planting time)

कृष्णा फल के पौधे लगाने का सबसे अच्छा समय बरसात का रहता है बरसात के मौसम में पौधे की देख्भाल करने की कम आवश्यकता होती है बरसात का मौसम सुरु होने से ख़तम होने के पहले तक आप इसके पौधे की रूपाई आप कर सकते है। 

4.कृष्णा फल की प्रजातियाँ (Varieties of Passion Fruit)

दुनियाँ भर में कृष्णा फल की लगभग 550 प्रजातियाँ पायी जाती हैं। जिसमें से बैंगनी और पीले रंग के पैशन फ्रूट की खेती सबसे अधिक की जाती है।

5.कृष्णा फल की खेती में सिंचाई प्रबंधन (Irrigation Management in Krishna Fruit Cultivation)

कृष्णा फल की फसल जल जमाव एवं ठहराव को सहन नहीं करती है। इसलिए खेत में अच्छी आतंरिक जल निकासी होनी चाहिए। आमतौर पर पौध एवं फल आने की अवस्था में, बेहतर उपज के लिए सिंचाई करनी चाहिए। अत्यधिक पानी, फसल को नुकसान पहुंचाता है। बरसात के मौसम में सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है, जब तक कि लंबे समय तक सूखा न रहें।

भारत के किन राज्यों में होती है खेती ( In which states of India Passion Fruit is cultivated )

कृष्णा फल की खेती हिमाचल प्रदेश और भारत के पूर्वी राज्य में जैसे मिजोरम मणिपुर और नागालैंड में की जाती  है

कृष्णा फल की खेती में लागत और कमाई ( Cost and Earnings in Passion Fruit Cultivation )

कृष्णा फल एक बीघे में लगभग 240 पौधे लगते है, इन पौधों को एक कतार में लगाया जाता है | एक कतार से दूसरे कतार की दूरी 12 फीट और पौधों के बीच की दूरी 8 फीट रखी जाती है| यदि हम इसके पौधे की बात करे तो मार्केट में पैशन फ्रूट के 1 पौधे की कीमत लगभग 80 रुपये से लेकर 150 रुपये तक होती है | 1 बीघे में इस फल का उत्पादन लगभग 25 क्विंटल होता है | इसके हेल्थबेनिफिट को देखते हुए बाजार में इस फल की अच्छी मांग रहती है| दिल्ली मंडी में 350 रुपये/किलो था|

आप शबला सेवा की मदद कैसे ले सकते हैं? ( How can you take help of Shabla Seva? )

  1. आप हमारी विशेषज्ञ टीम से खेती के बारे में सभी प्रकार की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
  2. हमारे संस्थान के माध्यम से आप बोने के लिए उन्नत किस्म के बीज प्राप्त कर सकते हैं।
  3. आप हमसे टेलीफोन या सोशल मीडिया के माध्यम से भी जानकारी और सुझाव ले सकते हैं।
  4. फसल को कब और कितनी मात्रा में खाद, पानी देना चाहिए, इसकी भी जानकारी ले सकते हैं।
  5. बुवाई से लेकर कटाई तक, किसी भी प्रकार की समस्या उत्पन्न होने पर आप हमारी मदद ले सकते हैं।
  6. फसल कटने के बाद आप फसल को बाजार में बेचने में भी हमारी मदद ले सकते हैं।

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