आलू का उपयोग, फायदा एवं आलू की खेती

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आलू ( Potato ) का वानस्पतिक नाम सोलेनम ट्यूबरोसम ( Solanum Tuberosum ) है और इसकी खेती की शुरुआत दक्षिणी अमेरिका के पेरू तथा चिली प्रांत में हुई है। इसकी उपज क्षमता समय के अनुसार सभी फसलों से ज्यादा है इसलिए इसको अकाल नाशक फसल भी कहते हैं।

आलू में पाए जाने वाले पोषक तत्व ( Nutrients Found in Potato )

आलू में सबसे ज्यादा मात्रा में स्टार्च ( Starch ) पाया जाता है। आलू में विटामिन C, विटामिन B6 और पोटेशियम ( Potassium ), फोलेट ( Folate ), नियासिन ( Niacin ), मैग्नीशियम ( Magnesium ), फास्फोरस ( Phosphorus ), आयरन ( Iron ), जिंक ( Zink ), तांबा ( Copper ) और मैंगनीज ( Manganese ) भी पाया जाता है। शरीर को तुरंत ऊर्जा देने के लिए आलू के कार्बोहाइड्रेट ( Carbohydrates ) और प्रोटीन ( Protein ), ग्लूकोज ( Glucose ) और अमीनो एसिड ( Amino Acid ) में परिवर्तित हो जाते हैं। आलू में एंटी-ऑक्सीडेंट ( Anti-oxidant ) होते हैं।

आलू के सेवन से होने वाले फायदे ( Benefits of Consuming Potato )

  1. आलू ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने का काम करता है।
  2. आलू हड्डियों के लिए फायदेमंद होता है।
  3. आलू किडनी स्टोन को बाहर निकालने में मदद करता है।
  4. आलू में अल्फा लिपोइक नामक एसिड मौजूद होता है, जो मस्तिष्क के विकास में फायदेमंद होता है।
  5. आलू वजन बढ़ाने में मददगार होता है।
  6. आलू कैंसर का खतरा कम करता है।
  7. आलू का सेवन करने से इम्यूनिटी मजबूत होती है।
  8. आलू वजन बढ़ाने में मददगार होता है।

आलू की खेती ( Potato Cultivation )

इसकी खेती रबी मौसम ( सर्द‍ियों के मौसम में अक्टूबर से दिसंबर तक ) में की जाती है। ऊपरी गीली भूमि जो जल-जमाव और ऊसर से मुक्त हो और जहाँ सिंचाई की सुविधा सुनिश्चित हो, वह खेत आलू की खेती के लिए उपयुक्त होता है।

आलू की खेती करने के लिए आवश्यक मिट्टी, तापमान एवं जलवायु/मौसम ( Required Soil, Temperature and Climate/Season Potato Cultivation )

आलू की खेती रेतीली, दोमट और चिकनी मिट्टी में की जा सकती है। आलू की अच्छी उपज के लिए मिट्टी का पी एच मान 5 से 6.5 के बीच होना चाहिए। आलू की अच्छी खेती के लिए आवश्यक  तापमान 25 से 30 डिग्री सेल्सियस होता है। इसकी खेती रबी मौसम ( सर्द‍ियों के मौसम में अक्टूबर से दिसंबर तक ) में की जाती है। आलू ठंडे मौसम की फसल है जो हल्का पाला सहन कर सकता  है।

आलू की खेती के लिए खेत की तैयारी और बुवाई ( Field Preparation and Sowing for Potato Cultivation )

पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करनी चाहिए। देशी हल या हैरो से दूसरी व तीसरी जुताई करनी चाहिए। यदि खेत में मिट्टी के धेले हो तो पाटे चलाकर मिट्टी भुरभुरी बना लेनी चाहिए। बुवाई के समय भूमि में पर्याप्त नमी का होना आवश्यक है, यदि खेत में नमी की कमी हो तो खेत की जुताई करके करनी चाहिए। आलू की फसल की अगेती किस्मों की बुवाई मध्य सितम्बर के आस पास की जाती है तथा मुख्य फसल की बुवाई के लिए मध्य अक्टूबर का समय उचित रहता है। आलू की बुआई का समय इसकी किस्म पर भी निर्भर करता है।

आलू की उन्नत किस्में ( Improved Varieties of Potato )

आलू की उन्नत किस्में कुफरी अलंकार, कुफरी अलंकार, कुफरी गंगा, कुफरी नीलकंठ, कुफरी ज्योति, कुफरी सिंदूरी, कुफरी देवा, कुफरी लालिमा, कुफरी स्वर्ण, कुफरी बहार आदि हैं। आलू की अगेती किस्मों में कुफरी अलंकार, कुफरी पुखराज, कुफऱी चंदरमुखी, कुफरी अशोका, कुफरी जवाहर आदि हैं। आलू की मुख्य किस्मों में कुफरी बहार, कुफरी लालिमा, कुफरी सतलुज, कुफरी सदाबहार आदि हैं।

आलू की खेती में बीज की मात्रा एवं बीज उपचार ( Seed Quantity and Seed Treatment in Potato Cultivation )

आलू की 1 एकड़ फसल तैयार करने के लिए मध्यम आकार के लगाने से एक एकड़ में लगभग 15 क्विंटल और छोटे आकर के लिए लगभग 8 क्विंटल बीज की आवश्यकता होती हे। आलू को बोने से पहले आधे में काटा जा सकता है, ताकि आपकी फसल को बढ़ाया जा सके।

आलू की फसल की देखभाल ( Potato Crop Care )

आलू की फसल की देखभाल के लिए जैविक खादों की प्रचुर मात्रा में आवश्यकता होती है। इसमें 200-250 क्विंटल सड़ी गोबर की खाद एक बीघा के लिए आवश्यक है।

आलू की खेती में सिंचाई और उर्वरक प्रबंधन ( Irrigation and Fertilizer Management in Potato Cultivation )

आलू की अच्छी फसल के लिए बलुई दोमट और दोमट मिट्टी में 8 से 10 दिन के अन्तराल पर सिंचाई करें। जबकि भारी मिट्टी में 10-12 दिन के अन्तराल पर सिंचाई करें। खेत में कभी भी जल भराव न होने दें। पौधों की अच्छी वृद्धि के लिए 7 से 10 बार सिंचाई करनी चाहिए। आलू की अच्छी फसल के लिए प्रति हेक्टेयर 150 से 180 किग्रा नाइट्रोजन, 60 किग्रा फास्फोरस तथा 100 किग्रा पोटाश की आवश्यकता होती है। फास्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा तथा नाइट्रोजन की आधी मात्रा बुवाई के समय खेत में डालनी चाहिए। शेष नाइट्रोजन जुताई के समय खेत में डाल दी जाती है।

आलू की खेती में खुदाई ( Digging in Potato Cultivation )

खेत में आलू बोने के 70-80 दिन बाद खुदाई करने की सलाह दी जाती है। खुदाई शुरू करने से पहले लताओं के शीर्ष पूरी तरह से मर जाने तक प्रतीक्षा करें। जब बेलें वापस मर जाती हैं, तो यह एक निश्चित संकेत है कि आलू उगना समाप्त कर चुके हैं और कटाई के लिए तैयार हैं। आलू खोदने से लगभग 15 दिन पहले सिंचाई बंद कर देनी चाहिए, उसके बाद आलू के पत्ते काट लेने चाहिए, जिससे आलू का छिलका मजबूत हो जाएगा। आलू की खुदाई आप किसी भी ट्रैक्टर चालित मशीन से कर सकते हैं।

भारत में आलू के उत्पादक राज्य ( Potato Producing States in India )

भारत में आलू का प्रमुख उत्पादक राज्य झारखण्ड, हरियाणा, कर्नाटक, असम, पंजाब, मध्य प्रदेश, गुजरात , बिहार, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश हैं।

आलू की खेती में लागत और कमाई ( Cost and Earnings in Potato Cultivation )

आलू की खेती में एक हेक्टेयर में  पर करीब 1.5 लाख रुपये तक का खर्च आता है। वहीं एक हेक्टेयर से 250 क्विंटल तक की पैदावार होती है। अगर बाजार में आलू का दाम अच्छा मिल जाता है तो करीब 2.5 से 3 लाख रुपये का मुनाफा हो सकता है।

आप शबला सेवा की मदद कैसे ले सकते हैं? ( How Can You Take Help of Shabla Seva? )

  1. आप हमारी विशेषज्ञ टीम से खेती के बारे में सभी प्रकार की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
  2. हमारे संस्थान के माध्यम से आप बोने के लिए उन्नत किस्म के बीज प्राप्त कर सकते हैं।
  3. आप हमसे टेलीफोन या सोशल मीडिया के माध्यम से भी जानकारी और सुझाव ले सकते हैं।
  4. फसल को कब और कितनी मात्रा में खाद, पानी देना चाहिए, इसकी भी जानकारी ले सकते हैं।
  5. बुवाई से लेकर कटाई तक, किसी भी प्रकार की समस्या उत्पन्न होने पर आप हमारी मदद ले सकते हैं।
  6. फसल कटने के बाद आप फसल को बाजार में बेचने में भी हमारी मदद ले सकते हैं।

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