सोयाबीन का उपयोग, फायदा एवं सोयाबीन की खेती

kisan-credit-card

सोयाबीन को गोल्डन बीन्स भी कहा जाता है, जो कि लैग्यूम परिवार से संबंधित है। इसका मूल स्थान पूर्वी एशिया है। यह प्रोटीन के साथ साथ रेशे का भी उच्च स्त्रोत है। सोयाबीन दलहन की फसल है। शाकाहारी मनुष्यों के लिए इसको मांस भी कहा जाता है, क्योंकि इसमें बहुत अधिक प्रोटीन होता है। इसका वानस्पतिक नाम ग्लाईसीन मैक्स है। स्वास्थ्य के लिए एक बहुउपयोगी खाद्य पदार्थ है। सोयाबीन में पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जो मानव शरीर के लिए काफी लाभदायक होता है | सोयाबीन में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, नमी, फाइबर, मिनरल्स, कैल्शियम, आयरन, पोटैशियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है। सोयाबीन को सब्जी बनाकर खाने के लिए उपयोग में लाया जाता है, तथा इसके दानो से निकले तेल को खाने और आयुर्वेदिक दवाइयों को बनाने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है।

सोयाबीन में पाए जाने वाले पोषक तत्व (Minerals found in Soybean)

सोयाबीन में प्रोटीन (Protein), कैल्शियम (Calsium), फाइबर (Fiber), आयरन (Iron), विटामिन (Vitamin) E, बी कॉम्प्लेक्स ( B Complex), थाइमीन (Thiamin), राइबोफ्लेविन अमीनो अम्ल (Riboflavin Amino Acid), सैपोनिन (Saponin), साइटोस्टेरॉल (Sitosterol), फेनोलिक एसिड (Phenolic Acid) एवं अन्य कई पोषक तत्व पाये जाते है जो शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं। 

सोयाबीन खाने के स्वास्थ्यवर्धक फायदे (Health Benefits of eating Soybeans)

  • सोयाबीन का सेवन मानसिक संतुलन को बेहतर बनाकर दिमाग को तेज करने का काम करता है।
  • सोयाबीन का सेवन दिल के रोगों में भी काफी फायदेमंद है।
  • सोयाबीन में पाए जाने वाले एंटी-ऑक्सीडेंट्स कई तरह के कैंसर रोकने में मददगार होते हैं।
  • सोयाबीन में पाए जाने पोषक तत्व हड्डियों को मजबूत बनाने का काम करते हैं।
  • प्रोटीन से भरपूर सोयाबीन का सेवन मेटाबॉलिक सिस्टम को दुरूस्त रखता है।

सोयाबीन की खेती (Soybean Cultivation)

सोयाबीन खरीफ मौसम की एक प्रमुख फसल है। सोयाबीन एक महत्वपूर्ण खाद्य स्रोत है। सोयाबीन मानव पोषण एवं स्वास्थ्य के लिए एक बहुउपयोगी खाद्य पदार्थ है। इसके मुख्य घटक प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और वसा होते है। सोयाबीन से किसानों को अच्छे भाव मिलते हैं क्योंकि सोयाबीन से तेल निकाला जाता है। इसके अलावा सोयाबीन से सोया बड़ी, सोया दूध, सोया पनीर आदि चीजें बनाई जाती है। बता दें कि सोयाबीन तिलहनी फसलों में आता है और इसकी खेती देश के कई राज्यों में होती है।भारत में सबसे ज्यादा सोयाबीन मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान में उत्पादित होती है।

आवश्यक जलवायु, मिट्टी, और तापमान ( Required Climate, Soil, And Temperature)

सोयाबीन की खेती के लिए गर्म और नम जलवायु अच्छी रहती है। इसकी खेती के लिए उचित तापमान 26–32 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए। सोयाबीन की खेती के लिये अच्छे जल निकास वाली दोमट भूमि अच्छी रहती है। मिट्टी का पीएच मान 6.0 से 7.0 सेल्सियस होना चाहिए । इसकी बुवाई जून के प्रथम सप्ताह से शुरू हो जाती है। लेकिन सोयाबीन की बुवाई का सर्वोत्तम समय जून के तीसरे सप्ताह से जुलाई के मध्य तक होता है। किसानों को सोयाबीन की बुवाई पंक्तियों में करनी चाहिए जिससे फसलों का निराई करने में आसानी होती है। सोयाबीन की बुवाई 45 सेमी से 65 सेमी की दूरी पर सीड ड्रिल की सहायता से या हल के पीछे खूंट से करनी चाहिए।

खेती की तैयारी और बुवाई का समय ( Farm Preparation and Sowing Time )

 जीरा ठंडी जलवायु की फसल है। इसकी खेती ठंड के दिनों में की जाती है। जीरे की बुवाई अक्टूबर-नवम्बर 

( October – November ) माह में की जाती है  जबकि फरवरी-मार्च ( February – March ) तक यह पककर तैयार हो जाती है। जीरा बोने से पहले खेत को अच्छी तरह से जोतकर समतल और अच्छी तरह भुरभुरी करना आवश्यक है। जिस खेत में जीरा बोना है वहां से खरपतवार निकाल कर साफ कर लें। खेत में गाय का गोबर और वर्मीकम्पोस्ट ( Vermicompost ) डालने के बाद हैरो से खेत की जुताई करें। इसके बाद उस खेत की रोटावेटर से जुताई कर खेत को समतल कर लें।

सोयाबीन की उन्नत किस्में (Improved Varieties of Soybean)

भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान भी सोयाबीन बीज की राष्ट्रीय आवश्यकता को पूरा करने के लिए प्रजनक बीज उत्पादन का समन्वय करता है । वर्तमान में बीज श्रृंखला में लगभग 30 किस्में हैं।

घरेलू प्रजनन कार्यक्रम (किस्मों की सूची, राज्यों के अनुसार किस्में, विशेष लक्ष्णों वाले किस्में) के अंतर्गत अब तक 102 उन्नत किस्में को विकसित किया गया हैं । संस्थान ने चार सोयाबीन किस्मों का विकास किया है जैसे NRC 2 (अहिल्या 1), NRC-12 (अहिल्या 2), NRC-7 (अहिल्या 3) और NRC-37 (अहिल्या 4)।

कई किस्मों जैसे JS 93-05, JS 95-60, JS 335, JS 80-21, NRC 2, NRC 37, पंजाब 1, कलितुर को उच्च बीज लॉजिविटी के साथ विकसित किया गया है ।

एम.ए.सी.एस. 58, एन.आर.सी. 37, टाइप 49, दुर्गा, पंजाब 1 जैसी किस्मों को विकसित किया गया है जो सबसे कम फली के उच्च इंसर्शन पॉइन्ट वाले यांत्रिक कटाई के लिए उपयुक्त हैं।

लेकिन भारत में ज्यादातर 5 किस्मों का इस्तेमाल किया जाता है (But Mostly 5 Varieties are used in India)

NRC 2 (अहिल्या 1), NRC-12 (अहिल्या 2), NRC-7 (अहिल्या 3) और NRC-37 (अहिल्या 4) 

सोयाबीन की फसल तैयार होने का समय (soybean harvest time)

सोयाबीन की फसल 90–100 दिनों के अंदर पककर तैयार हो जाती है।

किन किन राज्यों में होती है सोयाबीन की खेती (In Which States Soybean is Cultivated)

सोयाबीन का भारत में 12 मिलियन टन उत्पादन होता है। यह भारत में खरीफ की फसल है। भारत में सबसे ज्यादा सोयाबीन मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान में उत्पादित होती है। मध्य प्रदेश का सोयाबीन उत्पादन में 45% जबकि महाराष्ट्र का 40% हिस्सा है।

सोयाबीन की खेती में लागत और कमाई (Cost and Earning in Soybean Cultivation)

सोयाबीन की खेती (Soybean Cultivation) में किसानों को कम लागत में अधिक मुनाफा होता हैं। इसकी खेती में प्रति हेक्टेयर 30–40 हजार रुपए की लागत आती है। कमाई की बात करें, तो प्रतिहेक्टेयर किसानों को 80 हजार से 1 लाख रुपये तक की शुद्ध लाभ मिल जाता है।

आप शबला सेवा की मदद कैसे ले सकते हैं? ( How can you take help of Shabla Seva? )

  1. आप हमारी विशेषज्ञ टीम से खेती के बारे में सभी प्रकार की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
  2. हमारे संस्थान के माध्यम से आप बोने के लिए उन्नत किस्म के बीज प्राप्त कर सकते हैं।
  3. आप हमसे टेलीफोन या सोशल मीडिया के माध्यम से भी जानकारी और सुझाव ले सकते हैं।
  4. फसल को कब और कितनी मात्रा में खाद, पानी देना चाहिए, इसकी भी जानकारी ले सकते हैं।
  5. बुवाई से लेकर कटाई तक, किसी भी प्रकार की समस्या उत्पन्न होने पर आप हमारी मदद ले सकते हैं।
  6. फसल कटने के बाद आप फसल को बाजार में बेचने में भी हमारी मदद ले सकते हैं।

संपर्क

अधिक जानकारी के लिए हमसे संपर्क करें +91 9335045599 ( शबला सेवा )

आप नीचे व्हाट्सएप्प (WhatsApp) पर क्लिक करके हमे अपना सन्देश भेज सकते है।

Become our Distributor Today!

Get engaged as our distributor of our high quality natural agricultural products & increase your profits.

Translate »

Pin It on Pinterest

Share This